Char Dham Yatra के लिए सीमित की गई श्रद्धालुओं की संख्या, एक दिन में इतने लोग ही कर सकेंगे दर्शन

Written By Aman Maheshwari | Updated: Apr 30, 2024, 10:36 AM IST

Char Dham Yatra 2024

Char Dham Yatra: 10 मई से चार धाम यात्रा शुरू होने वाली है. इस बार यात्रा के लिए रोजाना सीमित लोग ही जा सकेंगे.

Char Dham Yatra 2024: इस साल चार धाम की यात्रा 10 मई, 2024 से शुरू होने वाली है. चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराना (Char Dham Yatra Registration) शुरू कर दिया है. यात्रा शुरू होने से पहले ही करीब 16 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. ऐसे में सुगम व्यवस्था श्रद्धालुओं को परेशानी न हो इसके लिए भक्तों की संंख्या सीमित कर दी गई है. तय सीमा के अनुसार ही भक्त चार धाम के दर्शन कर पाएंगे.

एक दिन में दर्शन कर सकेंगे इतने श्रद्धालु
दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या सीमित कर दी गई है. तय मानदंड के अनुसार, एक दिन में यमुनोत्री धाम के दर्शन 9 हजार, गंगोत्री धाम के 11 हजार, केदारनाथ धाम के 18 हजार और बद्रीनाथ धाम के 20 हजार लोग ही दर्शन कर सकेंगे. चार धाम के दर्शन के लिए सरकार ने सख्ती भी दिखाई है. कोई भी श्रद्धालु बिना रजिस्ट्रेशन के दर्शन नहीं कर पाएगा.


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ऐसे करें चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन
चारधाम यात्रा के लिए आप https://registrationandtouristcare.uk.gov.in इस वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. वहीं बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर में पूजा के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं. इसके लिए आधिकारिक वेबसाइट https://badrinath-kedarnath.gov.in पर जा बुकिंग कर सकते हैं. केदारनाथ धाम के दर्शन हेलिकॉप्टर के जरिए करना चाहते हैं तो आप https://heliyatra.irctc.co.in इस वेबसाइट से हेलिकॉप्टर सर्विस की बुकिंग करा सकते हैं.

चार धाम से जुड़ी मान्यताएं
बद्रीनाथ धाम - यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. यह क्षेत्र बदरीवन के नाम से जाना जाता है. यह धाम नर-नारायण दो पहाड़ों के बीच स्थित है.

केदारनाथ धाम - ऐसी मान्यता है कि भगवना विष्णु के नर-नारायण अवतार ने यहां पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी. तब प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए थे.

गंगोत्री धाम - यह मंदिर गंगा का मंदिर है. गंगोत्री में गंगा देवी की पूजा होती है. गंगा नदी का उद्गम गोमुख है.

यमनोत्री धाम - यमनोत्री धाम यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है. यहां पर यमुना देवी की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि यमुनोत्री मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने कराया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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