डीएनए हिंदी: Uttarakhand Chardham Yatra in Winter- चारधाम यात्रा के कपाट बंद (Chardham Yatra End Date) होने की तिथि की घोषणा हो गई है. 3 मई को खुले मंदिर 26 अक्टूबर से बंद होने शुरू हो जाएंगे. उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री,केदारनाथ और बद्रीनाथ (Gangotri, Yamunotri, Kedarnath, Badrinath) चार विश्व प्रसिद्ध धाम हैं. चारों धामों में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. करीब 6 महीने मंदिर खुले रहते हैं लेकिन जैसे ही सर्दियों का मौसम आने वाला होता है कपाट बंद हो जाते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि अगर कोई ठंड में दर्शन करना चाहे तो कैसे कर पाएगा. आईए हम आपको बताते हैं कि उत्तराखंड में अगले छह महीने ये भगवान कहां विराजमान होंगे और कपाट बंद के बाद भी आप उनके दर्शन कर पाएंगे.
गंगोत्री, यमुनोत्री,केदारनाथ और बद्रीनाथ (Gangotri, Yamunotri, Kedarnath, Badrinath)
चारों धाम में गंगोत्री, मां गंगा उत्तरकाशी जिले के मुखवा गांव और यमुना मां खरसाली में विराजमान होती हैं. बाबा केदार रूद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ और भगवान बदरी विशाल पांडुकेश्वर जोशीमठ चमोली में आ जाते हैं.जहां 6 महीने तक शीतकाल में पूजा अर्चना होती है. यहां पर भी श्रद्धालु शीतकाल में भी इन स्थानों पर होने वाली पूजा-अर्चना में शामिल हो सकते हैं.
यह भी पढे़ं- कब तक खुले रहेंगे चार धाम, ये है बंद होने की तिथि
ठंड में कहां रहते हैं भगवान और कैसे होंगे दर्शन
इस दौरान भी पूजा अर्चनाएं होती हैं. चारों धामों में देवतागण विराजमान होते हैं. इन चारों स्थानों पर पुरोहित पूरे रीति रिवाज और धार्मिक मान्यता के अनुसार पूजा अर्चना करते हैं. इस दौरान भी भगवान के दर्शन किए जाते हैं. भगवान केदारनाथ की पूजा ग्रीष्मकाल में केदारनाथ में होती है जबकि शीतकाल में केदारनाथ उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में विराजते हैं. इसी मंदिर में केदारनाथ की शीतकालीन पूजा की जाती है. शीतकाल में केदारनाथ में जमकर बर्फबारी होती है. धार्मिक मान्यता है कि शीत काल में जब मंदिर का कपाट बंद हो जाता है तब भी देवतागण भगवान केदारनाथ और बदरीनाथ की पूजा करते हैं. इस दौरान मनुष्यों के लिए भगवान केदारनाथ का चल विग्रह केदारनाथ से उखी मठ में लाया जाता है. इसी स्थान पर मनुष्यों को केदारनाथ के दर्शन प्राप्त होते हैं.
यह भी पढ़ें- चारधाम यात्रा क्यों है इतनी कठिन, जानिए क्यों मौत की डगर कहते हैं लोग
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.