डीएनए हिंदी: आज से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. छठ 4 दिवसीय त्योहार है, जिसकी शुरुआत नहाय खाय के साथ ही लौकी भात खाकर की जाती है. इसका विशेष महत्व होता है. हिंदू धर्म में छठ 36 घंटे तक निर्जला रखे जाने वाला सबसे लंबा व्रत है. इसमें महिलाएं डूबते और उगते सूर्य को जल अर्पित कर उपासना करते हैं. साथ ही छठ मैया की पूजा करते हैं. इससे भगवान भास्कर और छठ माता की कृपा प्राप्त होती है. यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है.
4 दिन तक चलती है छठ पूजा
छठ पूजा की शुरुआत आज यानी 17 नवंबर दिन शुक्रवार से शुरू हो गई है. इस दिन व्रती लौकी भात खाने के बाद ही इस व्रत की शुरुआत करेंगे. व्रत के दूसरे दिन खरना होगा. तीसरे दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है. साथ ही डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे दिन उगते सूर्य को जल अर्पित कर इस व्रत पारण किया जाता है.
नहाय खाय के साथ खाया जाता है लौकी भात
छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय दिन व्रती महिलाएं स्नान करने के बाद नए कपड़े धारण करती हैं. इस दिन शाम के समय लौकी और भात का प्रसाद बनाया जाता है. इस प्रसाद को खाने के बाद ही छठ व्रत शुरू हो जाता है. कद्दू भात बनाने की यह पुरानी परंपरा है, जो सालों से चली आ रही है. वहीं बताया जाता है कि इस लौकी भात खाने से मन, पेट वचन और आत्मा की शुद्धि हो जाती है. इसके लिए छठी मैया के व्रती नहाय खाय की शाम को पूरे परिवार के साथ कद्दू भात खाते हैं.
जानें नहाय खाय के दिन कद्दू भात का महत्व
नहाय खाय के दिन कद्दू भात खाने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही महत्व हैं. धार्मिक रूप से देखें तो इस दिन छठी मैया के प्रसाद के रूप में लौकी भात का ग्रहण करने के बाद ही 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. सूर्य देव की उपासना की जाती है. वहीं वैज्ञानिक रूप से जानें तो लौकी में एंटी ऑक्सीडेंट से लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले पोषक तत्व पाएं जाते हैं. इसके अलावा इनमें पानी की भरपूर मात्रा होती है, जो बॉडी का शुगर लेवल कंट्रोल में रखती है. बॉडी की क्षमता बढ़ाती है. यह व्रतियों को 36 घंटे तक उपवास रखने में मदद करता है.
नहाय खाय के दिन करें ये काम
नहाय खाय के दिन महिलाएं सुबह उठते ही साफ सफाई करें. इसके बाद स्नान करें और नये वस्त्र पहनें. इसके बाद भगवान सूर्य की आराधना और उपासना करें. इस दिन माथे पर सिंदूर लगाएं. व्रती के अलाव घर के दूसरे सदस्य भी स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद छठ पूजा के प्रसार की तैयारी करें. इस दिन लौकी भात का प्रसार के रूप में बनाकर ग्रहण किया जाता है. यह प्रसाद देशी घी के साथ मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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