डीएनए हिंदी: (Chhath Puja Third Day 2023) दिवाली के बाद आने वाले चार दिवसीय छठ पर्व का आज तीसरा दिन है. छठ पूजा कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि को मनाई जाती है. छठ व्रत में भगवान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा अर्चना की जाती है. सूर्य को जल देने के साथ ही 36 घंटे तक का निर्जला व्रत रखा जाता है. यह सबसे लंबा निर्जला व्रत होता है. चार दिवसीय इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है. इस दिन व्रत की तैयारी करनी होती है.
छठ के चार दिवसीय व्रत में पहला दिन नहाय खाय होता है. इसके अगले दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और व्रती चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. आज 19 नवंबर दिन रविवार को छठ पर्व का तीसरा और मुख्य षष्ठी तिथि है. इस दिन छठी व्रती पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करते हैं. जल में खड़े होकर व्रती डूबते सूर्य की उपासना करते हैं. इस बीच घंटों माता रानी की पूजा अर्चना जल में खड़े होकर ही की जाती है.
बांस की टोकरी सजाया जाता है अर्घ्य का सूप
छठ के तीसरे व्रती घाट पर जाने के लिए बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाते हैं. इसमें फल फूल, ठेकुआ से लेकर छठी मैया भोग प्रसाद को रखा जाता है. माना जाता है कि छठी मैया सूर्य देवी की बहन हैं. इस अवसर पर दोनों को जल अर्पित करने के साथ ही भोग प्रसाद भेंट किया जाता है. माता रानी से अपनी मनोकामना मांगते हैं, जो जल्द पूर्ण भी होती है. यह व्रत संतान की प्राप्ति और संपन्नता के लिए किया जाता है, जिसे ज्यादातर महिलाएं करती हैं.
यह है छठ का शुभ मुहूर्त
छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को जल दिया जाता है. व्रती अपने पूरे परिवार के साथ घाट पर पहुंचता है. इसके बाद पूजा अर्चना कर भगवान से जीवन में सुख संपत्ति और संतान की कुशलता की मनोाकमना मांगते हैं. वहीं शुभ मुहूर्त में जल अर्पित किया जाता है. इस बार रविवार को डूबते सूर्य को जल अर्पित करने का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 26 मिनट पर रहेगा.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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