Chhath Puja 2024 Kharna: कल मनाया जाएगा खरना, जानें इसका महत्व, विधि और नियम

Written By नितिन शर्मा | Updated: Nov 05, 2024, 03:03 PM IST

हिंदू महापर्व के सबसे बड़े त्योहार छठ में दूसरा दिन खरना होता है. इस दिन व्रती महिलाएं स्नान के बाद विधि विधान से भगवान की पूजा अर्चना और भोग लगाती हैं.

Chhath Puja Kharna Importance And Vidhi: छठ के त्योहार की शुरुआत हो चुकी है. पहले दिन नहाय खहाय के बाद खरना किया जाता है. छठ के चारों दिन का अलग अलग और बेहद खास महत्व होता है. इस बार 6 नवंबर बुधवार को खरना किया जाएगा. छठ पर्व के इस दूसरे दिन का खास महत्व है. इसमें व्रत का संकल्प लेने के साथ ही छठ व्रत का प्रसाद तैयार किया जाता है. आइए जानते हैं खरना व्रत के नियम, विधि और इसका महत्व...

क्या होता है खरना 

छठ पर्व के दूसरे दिन खरना का किया जाता है. इस बार 6 नवंबर 2024 को खरना किया जाएगा. खरना पर महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं. इसी से 36 घंटे का निर्जला व्रत  शुरू होता है. इस दिन छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है. महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद माता रानी की पूजा अर्चना और गीत गायन के साथ रोटी, गुड़ की खीर तैयार करती हैं. साथ ही फलों का माता रानी को भोग लगाया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं छठ मैया का विशेष प्रसाद तैयार करती हैं. शाम के समय भगवान को अर्पित करने के बाद ही उसे ग्रहण किया जाता है. खरना से जो उपवास शुरू होता है. वह सप्तमी तिथि के दिन अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो जाता है. 

यह है खरना के नियम और महत्व

खरना के दिन व्रती महिलाएं स्नान करने के बाद चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाती है. इसके लिए पीतल या मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है. खीर बनाने से लेकर इसे रखने तक शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. खीर के अलावा इस दिन ठेकुआ और लड्डू भी तैयार किय जाते हैं. 

व्रती ही बनाते हैं प्रसाद

खरना में व्रती ही छठी मैया का प्रसाद तैयार कर सकती है. पूरे दिन ​व्रत रखने के बाद ही शाम के समय व्रती बंद कमरे में इस खीर को खा सकता है. इसके बाद पूरा परिवार छठी मैया का व्रत रखने वाली महिला का आशीर्वाद लेती हैं. साथ ही सुहागन महिलाएं व्रती महिलाओं से सिंदूर लगवाती हैं. 

देवी देवताओं को ऐसे निकाला जाता है भोग

खरना में व्रती महिलाएं केले के पत्ते पर तैयार किया गया भोग अलग अलग देवी देवताओं को लगाती हैं. इसमें छठी मैया से लेकर सूर्यदेव का अलग अलग हिस्सा निकाला जाता है. इसमें खीर का प्रसाद से लेकर केला, दूध व अन्य शुद्ध सामग्री का भोग लगाया जाता है. 

जमीन पर सोती हैं महिलाएं 

छठ का व्रत करने वाली महिलाओं को जमीन पर साना चाहिए. साथ ही पूर्ण ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए. इस दौरान व्रती महिलाओं को तकिया नहीं लगाना चाहिए. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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