Chinnmastika Mandir: अमावस्या की रात छिन्नमस्तिका मंदिर में जुटते हैं देशभर के तांत्रिक, होती है तंत्र-मंत्र की साधना

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 20, 2022, 12:33 PM IST

ऐसा है मां छिन्नमस्तिका का स्वरूप

Rajrappa Mandir: छिन्नमस्तिका मंदिर में कार्तिक अमावस्या की रात तंत्र सिद्धि के लिए कई बड़े तांत्रिक और साधक आते हैं, जानें क्या है इस मंदिर का महत्व.

डीएनए हिंदीः  झारखंड के रामगढ़ स्थित रजरप्पा (Rajrappa) के छिन्नमस्तिका (Chinnmastika Mandir) मंदिर में कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली की रात तंत्र सिद्धि के लिए कई बड़े तांत्रिक और साधक यहां पहुंचते हैं. यहां तांत्रिक और साधक अमावस्या की रात को कुछ गुप्त तो कुछ खुले आसमान के नीचे साधना करते हैं. तंत्र-मंत्र (Tantra Sadhna) की सिद्धि के लिए छिन्नमस्तिका मंदिर की भूमि को अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है. ऐसे में कार्तिक अमावस्या के माैके पर भारी संख्या में साधक इस मंदिर में पहुंच कर साधना करते हैं. कार्तिक अमावस्या की रात्रि को मां छिन्नमस्तिका का दरबार भक्तों के लिए रातभर खुला रहता है.

ऐसा है मां छिन्नमस्तिका का स्वरूप (Chinnmastika Mandir Tantra Mantra Siddhi Sadhana)

इस मंदिर में मां छिन्नमस्तिका देवी एक कमल पुष्प पर कामदेव-क्रिया में लीन हैं और इसके ऊपर मां छिन्नमस्तिके मुंडमाला युक्त खड़ी हैं जिन्होंने स्वयं के खड़ग से अपना शीश काट कर अपने हाथों में ले रखा है. देवी के एक हाथ में रक्तरंजीत खड़ग और दूसरे हाथ में कटा हुआ मस्तक है. कटी हुई गर्दन से रक्त की 3 धाराएं निकल रही हैं, जिसकी एक धारा स्वयं के कटे शीश के मुंह में और दो धाराएं उनके दोनों ओर खड़ी हुई योगनियों के मुंह में प्रविष्ट हो रही है. इसलिए देवी के इस स्वरूप को मां छिन्नमस्तिके देवी के नाम से जाना जाता है. 

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यहां होती है तंत्र-मंत्र की साधना

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 10 महाविद्याओं में मां काली का पहला स्थान और मां छिन्नमस्तिके देवी का चौथा स्थान है. इसलिए कार्तिक अमावस्या पर तंत्र-मंत्र की देवी मानी जाने वाली मां काली की पूजा का विशेष महत्व है. यहां यह रात रहस्यमयी होती है कई तरह के अनजान चेहरे नजर आते हैं. साथ ही रात्रि में घने जंगलों के बीच उड़ती आग की लपटें और धुआं, जंगल और पहाड़ों के बीच से आती अनजान आवाजें  सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. मां छिन्नमस्तिका देवी के मुख्य मंदिर के अलावा इसके पश्चिमी छोर पर मां काली का भी मंदिर मौजूद हैं जहां रात भर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

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यह है धार्मिक मान्यता

कहा जाता हैं यहां सच्चे मन से साधना करने से माता का दिव्य रुप का दर्शन हो सकता है साथ ही यहां साधकों को शक्ति की प्राप्ति त्वरित होती है. यहां कार्तिक अमावस्या की साधना और पूजा से सभी विघ्न बाधाएं दूर होती हैं. धन संपत्ति की प्राप्ति होती है और रोग, शोक, बुरी शक्ति और शत्रु का दमन होता है. मान्यता है कि तंत्र मंत्र सिद्धि करने वालों के लिए यह रात शक्ति प्रदान करती है. 

इस दौरान पूरे मंदिर परिसर को भव्य तरीके से सजाया जाता है.  दामोदर और भैरवी नदी के किनारे भी लाइटें लगाई जाती हैं ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो. यहां बड़ी संख्या में झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, बिहार, उत्तर प्रदेश से श्रद्धालु पहुंचकर मां की पूजा आराधना करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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