डीएनए हिंदी: Chitragupta Puja, Shubh Muhurat and Mantra-आज भाई दूज के दिन ही भगवान चित्रगुप्त, जिन्हें कर्मों के लेखा-जोखा का भगवन कहते हैं, उनका पूजन किया जाता है. इसे चित्रगुप्त पूजा कहते हैं. चित्रगुप्त पूजा का विशेष महत्व है. यह त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन भगवान के समक्ष अपनी आमदनी और खर्चों का ब्योरा रखा जाता है. साथ ही नए बहिखातों पर ‘श्री’ लिखकर उन्हें भगवान चित्रगुप्त के सामने रखा जाता है और उनसे बरकत का आशीर्वाद लिया जाता है. इस साल 27 अक्टूबर यानी आज ही चित्रगुप्त पूजा की जा रही है.
Shubh Muhurat (शुभ मुहूर्त)
सुबह 7 बजकर 27 मिनट से लेकर 28 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 33 मिनट तक इस पूजा का शुभ समय
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है
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चित्रगुप्त पूजा विधि (Puja Vidhi)
सुबह स्नान करके पूरा परिवार पूजा के लिए बैठता है. थाली में चावल, रोली, फूल,चंदन, नारियल, हल्दी, गुड़,दही,इत्र इत्यादि पूजन सामग्री रखकर एक सादे पन्ने पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर बनाते हैं, कई लोग उनकी मूर्ति के आगे पूजा करते हैं. इसके बाद मंत्र उच्चारण करके आरती की जाती है.
कायस्थ में महत्व (Significance)
ये पूजा कायस्थों में ज्यादा की जाती है क्योंकि कायस्थों की उत्पत्ति चित्रगुप्त से मानी जाती है. इसके लिए उनके लिए यह पूजन काफी विशेष माना जाता है.नमान्यता के मुताबिक महाभारत में शर-शैया पर पड़े पितामह भीष्म ने भगवान चित्रगुप्त का विधिवत पूजन किया था जिससे उन्हें मुक्ति मिल सके. इसके लिए यह पूजन बल, बुद्धि, साहस और शौर्य के लिए काफी अहम माना जाता है. वहीं पुराणों और ग्रंथों में इस पूजन के बिना की गई कोई भी पूजा अधूरी मानी गई है.
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मंत्र (Mantra)
चित्र गुप्त पूजा के दिन मंत्र- मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।। और ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का उच्चारण करें. पूजा के समय चित्रगुप्त प्रार्थना मंत्र भी जरूर पढ़ें. पूजा पूरी करने के बाद चित्रगुप्त जी की आरती करें.
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
कौन हैं चित्रगुप्त
धर्म ग्रंथों के अनुसार चित्रगुप्त ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं. कहते हैं किसी भी प्राणी के पृथ्वी पर जन्म से लेकर मृत्यु तक उसके कर्मों को अपने पुस्तक में लिखते रहते हैं, उनकी लेखनी के आधार पर ही व्यक्ति को स्वर्ग और नर्क की प्राप्ति होती है. चित्रगुप्त कायस्थ समाज के ईष्ट देवता माने जाते हैं.
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