Yogi Adityanath Birthday: अजय सिंह बिष्ट से संन्यासी बने योगी आदित्यनाथ, कभी कर दिया था महंत अवैद्यनाथ का शिष्य बनने से इनकार

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 05, 2023, 11:20 AM IST

योगी आदित्यनाथ का एक आम इंसान से संन्यासी बनने और राजनीति में कदम रखने का सफर काफी दिलचस्प रहा है. आज महंत के साथ ही योगी का नाम देश के कद्दावर नेताओं में आता है. 

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ का आज 51वां जन्मदिन है. हालांकि वह अपना जन्मदिन विशेष रूप से नहीं मनाते हैं. इसकी एक वजह उनका संन्यासी होना है. प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में जन्में योगी आदित्यनाथ का पहला नाम अजय सिंह बिष्ट था. वह पौड़ी गढ़वाल के मध्यम परिवार से थे. सात भाई बहनों में उनका पांचवा स्थान है. यूपी में रामजन्मभूमि के आंदोलन में आए थे. यही से उनके संन्यासी बनने की कहानी शुरू हुई. यहां महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें योगी को मठ का युवराज बना दिया, लेकिन कभी योगी आदित्यनाथ ने महंत अवैद्यनाथ का शिष्य बनने से साफ इनकार कर दिया था.  

दरअसल, यह वाक्या आज से 30 साल पुराना है, जब 1993 में योगी आदित्यनाथ की महंत अवैद्यनाथ से पहली बार मुलाकात हुई थी. अवैद्यनाथ दिल्ली के एम्स अस्पताल में हार्ट का इलाज करा रहे थे. यहां योगी उनसे मिलने पहुंचे थे. जैसे ही महंत अवैद्यनाथ आंखें खोली उनके सामने योगी आदित्यनाथ खड़े थे. उन्होंने यह देखकर खुशी हुई. अवैद्यनाथ शिष्य की तलाश में थे. उन्होंने अजय सिंह बिष्ट से पूछा कि तुम मेरे शिष्य बनोंगे. योगी आदित्यनाथ ने विनम्रता पूर्वक शिष्य बनने से इनकार कर दिया. 

Mathura-Vrindavan Darshan: मथुरा वृंदावन आएं तो इन मंदिर में जरूर करें दर्शन, मन और मस्तिष्क को मिलेगी नई ऊर्जा

महंत को शिष्य की थी तलाश 

महंत अवैद्यनाथ की उम्र 74 साल हो चुकी थी, लेकिन वह अपने शिष्य के रूप में उत्तराधिकारी नहीं तलाश पाए थे. महंत अवैद्यनाथ को योगी आदित्यनाथ को अपना शिष्य बनाने के लिए सारे गुण दिखाई देते थे, उन्होंने योगी आदित्यनाथ के सामने कई बार प्रस्ताव भी रखा, लेकिन योगी आदित्यनाथ प्रसन्न न हुए. 

दूसरी अस्पताल पहुंचे अवैद्यनाथ तो न नहीं कर पाए योगी आदित्यनाथ

कुछ समय बाद ही महंत अवैद्यनाथ की एक बार फिर से तबियत खराब हो गई. उम्र के साथ ही बीमारियों के जकड़े जाने की वजह से उनका स्वास्थ्य लगातार खराब होता जा रहा था. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसका पता लगते ही योगी आदित्यनाथ महंत अवैद्यनाथ का हाल जानने अस्पताल पहुंचे. यहां महंत की आंखों में फिर वहीं सवाल दिखाई दिया. उन्होंने योगी आदित्यनाथ से कहा कि मैंने अपना जीवन रामजन्मभूमि आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया है, लेकिन अब तक अपना उत्तराधिकारी शिष्य नहीं चुन पाया हूं. और अब ज्यादा समय भी नहीं है. इस योगी आदित्यनाथ ने सहमति जता दी. वह महंत के अवैद्यनाथ के शिष्य बनने के लिए तैयार हो गए.  

Bageshwar Dham धीरेंद्र शास्त्री से शादी करना चाहती है MBBS की छात्रा, दीवानगी में गंगोत्री से बागेश्वर धाम के लिए शुरू की पदयात्रा

1994 में अजय सिंह बिष्ट से बन गए योगी आदित्यनाथ 

आज सीएम योगी के रूप में पहचाने जाने वाले योगी आदित्यनाथ ने 1994 में महंत अवैद्यनाथ को अपना गुरु चुना. उन्होंने दीक्षा ले ली. इसके बाद अजय सिंह बिष्ट से वह योगी आदित्यनाथ बने. दो साल बाद ही उन्हें मठ में लोकसभा चुनाव के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी गई. 

1998 में गुरुदेव योगी को बनाया उत्तराधिकारी

दो सालों योगी आदित्यनाथ का काम के प्रति समर्पण देख गुरु महंत अवैद्यनाथ ने 1998 में योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. इसी के बाद 26 साल की उम्र में पहली बार योगी आदित्यनाथ लोकसभा का चुनाव लड़े. उन्होंने लोकसभा चुनाव जीतकर सबसे कम उम्र में सांसद बनने का गौरव हासिल किया. 

Astrology: 12 दिन बाद बनने जा रहा त्रिकोण राजयोग, इन 5 राशियों की चमक जाएगी किस्मत, नहीं अटकेगा कोई काम 

यही से चल पड़ा योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक करियर

गुरु के उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक करियर शुरू हो गया. उन्होंने मठ की जिम्मेदारी संभालने के साथ सांसद की कुर्सी संभालते हुए संचालक भी किया. इसबीच योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी, बजरंग दल जैसे संगठनों को मजबूती दी. योगी एक के बाद एक पांच बार लगातार सांसद चुने गए. साथ ही 2014 में महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ मंदिर का पीठाधीश्वर की उपाधि दी गई. 

दूसरी बार बने प्रदेश के सीएम

योगी आदित्यनाथ अपने कड़े तेवर के लिए पहचाने जाते हैं. उन्होंने यूपी में कानून व्यवस्था को टाइट कर दिया है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने देश के दिग्गज नेताओं में जगह बना ली है. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर