डीएनए हिंदी: Know About Cursed Rivers In India- सनातन धर्म में नदियों का खास महत्व होता, भारत में बहने वाली लगभग हर नदी के पीछे कोई न कोई धार्मिक मान्यता जुड़ी है. हमारे देश में नदियों का धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व रहा है (Rivers In India). पहले के जमाने में ज्यादातर शहर और गांव नदियों के किनारे हुआ करते थे. आज देश में छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 200 (200 Rivers In India) नदियां हैं. इन नदियों में से गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, सरस्वती, नर्मदा, सतलुज जैसी नदियों के नाम से हम बखूबी परिचित हैं (Famous Rivers In India). धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन नदियों में स्नान करने मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. लेकिन इनमें से कुछ नदियां ऐसी हैं जिन्हें श्रापित माना जाता है. मान्यता है कि इन नदियों को छूने मात्र से ही जीवन में कठिनाइयां शुरू हो जाती हैं. तो चलिए जानते हैं इन श्रापित नदियों के बारे में (Cursed Rivers In India).
कर्मनाश नदी (Karmanasa River)
कर्मनाश नदी बिहार व प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है. इस नदी के पास रहने वाले और अन्य लोगों का मानना है कि नदी को छू लेते हैं, उनके बनते काम भी बिगड़ने लग जाते हैं. इसके अलावा कुछ लोगों का मानना है कि इस नदी का पानी श्रापित है. ऐसे में लोग इस नदी के पानी को छूना भी नहीं चाहते हैं.
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चंबल नदी (Chambal River)
चंबल मध्य प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है. वैसे तो चंबल को डकैतों का इलाका माना जाता है, लेकिन अब यहां डकैत नहीं रहते हैं. लेकिन यहां के लोग इस नदी को अपवित्र मानते हैं. चंबल नदी के बारे में कहा जाता है कि इसकी उत्पत्ति कई जानवरों के खून से हुई है. इसके अलावा एक दूसरी कथा के अनुसार राजा रतिदेव ने हजारों पशुओं का वध कर रक्त को इस नदी में प्रवाहित कर दिया था. तब से लोग इस नदी को श्रापित मानने लगे.
फल्गु नदी (Phalgu River)
वैसे तो धार्मिक जगहों और इसके आसपास की नदियों को देवी का रूप माना जाता है, लेकिन बिहार के गया जिले में बहने वाली फल्गु नदी को श्रापित माना जाता है. यहां हर साल लाखों लोग पिंडदान और श्राद्ध करने के लिए पहुंचते हैं. लेकिन यहां के लोग इस नदी को देवी नहीं बल्कि श्रापित मानते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस नदी को माता सीता ने श्राप दिया था, तब से लोग इस नदी पर जाने से झिझकते हैं.
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कोसी नदी (Kosi River)
कोसी नदी से अधिकतर लोग परिचित नहीं है. यह नदी नेपाल (हिमालय) से निकलकर सुपौल, पूर्णिया, कटिहार से बहती हुई कोसी ताजमहल के पास गंगा में मिल जाती है. यहां इस नदी को शोक नदी के नाम से जाना जाता है. जब भी इस नदी में बाढ़ आती हैं, तो स्थानीय लोग प्रभावित होते हैं और इससे कई लोगों की जान तक चली जाती है. इसलिए ही इसे शोक नदी कहा जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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