Dattatreya Jayanti 2022: भगवान दत्तात्रेय की पूजा से मिलती है पितृ-दोष से मुक्ति, त्रिदेव की जयंती पर करें ऐसे पूजा

ऋतु सिंह | Updated:Dec 07, 2022, 09:15 AM IST

इस दिन पूजन करने से मिलती है पितृ-दोष से मुक्ति, जानें पूजा विधि और मंत्र

Margashirsha: भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. मार्गशीर्ष मास में दत्ता़त्रेय की जयंती होती है. जानें पूजा विधि और मंत्र.

डीएनए हिंदीः मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) पर ही भगवान दत्तात्रेय का जन्म (Dattatreya Jayanti) हुआ था. भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश (Brahma, Vishnu, Mahesh) का रूप माना गया है. इस साल दत्तात्रेय जयंती 7 दिसंबर (Dattatreya Jayanti 7 December) को मनाई जाएगी. 

महर्षि अत्रि और माता सती अनुसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय (Lord Dattatreya, son of Maharishi Atri and mother Sati Anusuya) की पूजा से त्रिदेवों का आशीर्वाद मिलता है. माता अनुसूया के सतीत्व के परीक्षण से प्रसन्न हो कर ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने संयुक्त रूप में उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया था. मान्यता है कि दत्तात्रेय भगवान के पूजा से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि और मंत्रों के बारे में जानें. 

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दत्तात्रेय जयंती 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त ( Dattatreya Jayanti 2022 Date Shubh Muhurat)
दत्तात्रेय जयंती तिथि - 7 दिसम्बर 2022, बुधवार
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 07, 2022 को सुबह  8:01  बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - दिसम्बर 08, 2022 को सुबह 9:37बजे

दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि ( Dattatreya Jayanti 2022 Puja Vidhi)
दत्तात्रेय जयंती के दिन श्वेत आसन पर भगवान दत्तात्रेय के चित्र या मूर्ति की स्थापना करें. सबसे पहले उनका गंगा जल से अभिषेक करें. इसके बाद धूप, दीप, फूल, नैवेद्य आदि चढ़ाए. भगवान दत्तात्रेय को पूजन में सफेद रंग के फूल या मिठाई चढानी चाहिए. इस दिन पूजन में अवधूत गीता का पाठ करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. इसके बाद इनके मंत्रों का जाप कर, पूजन के अंत में दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. 

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भगवान दत्तात्रेय के मंत्र

बीज मंत्र -ॐ द्रां

तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र- 'ॐ द्रांदत्तात्रेयाय नम:'

दत्त गायत्री मंत्र- 'ॐ दिगंबराय विद्महेयोगीश्रारय्धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात्

दत्तात्रेय का महामंत्र- 'दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा'

दक्षिणामूर्ति बीजम च रामा बीकेन संयुक्तम्

द्रम इत्यक्षक्षाराम गनम बिंदूनाथाकलातमकम दत्तास्यादि मंत्रस्य दत्रेया स्यादिमाश्रवह तत्रैस्तृप्य सम्यक्त्वंबिन्दुनाद कलात्मिका येतत बीजम्मयापा रोक्तम्ब्रह्म-विष्णु- शिव नामकाम

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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