Pitru Paksha 2023: आज से शुरू हो गया पितरों के तर्पण का दिन, पितृदोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय

ऋतु सिंह | Updated:Sep 29, 2023, 06:43 AM IST

पितरों का तर्पण 

आज यानी 29 सितंबर 2023 से शुरू पितरों के तर्पण और पिंडदान करने का दिन शुरू हो रहा है. पितृपक्ष में पितृदोष से मुक्ति के लिए कुछ खास उपाय जरूर करने चाहिए.

डीएनए हिंदीः पितृपक्ष में पितरों को जल अर्पित करने का विधान है. पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. पितृपक्ष भाद्रपाद की पूर्णिमा से अश्वनी कृष्णपक्ष अमावस्या तक होती है. 16 दिनों तक तिथि के अनुसार पितरों का पिंडदान और तर्पण किया जाता है.

धर्मसिंधु के अनुसार, पितृपक्ष में यम पितरों को  पितृलोक से धरती पर भेजते हैं. पितर लोक को धार्मिक ग्रंथों में चंद्रमा के उर्ध्व भाग पर बताया गया है. मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में अपने दिवंगत पूर्वजों-पितरों को कव्य अर्पित करने का विधान बताया गया है. जिनके पिता इस दुनिया में नहीं हैं, वे लोग अपने पिता, दादा, और परदादा, माता, दादी और परदादी समेत कुल परिवार के सभी पितरों को जल अर्पित कर उनका स्मरण करते हैं.

पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विधान
पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विधान है. जिस तिथि पर पिता का निधन हुआ होता है, उ दिन विधान पूर्वक उनके लिए श्राद्ध कर्म करते हैं, जिसे पिंडदान भी कहा जाता है. इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है. पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्ति होगी. पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं और सदैव अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं. इस दौरान किए गए विभिन्न उपायों से व्यक्ति के पितृ दोषों से भी छुटकारा मिलता है.

पूर्णिमा की श्राद्ध और प्रतिपदा श्राद्ध मुहूर्त

इस साल पितृपक्ष की शुरुआत इस साल 29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार से हो रही है. इस दिन पूर्णिमा की श्राद्ध और प्रतिपदा श्राद्ध है. वहीं पितृ पक्ष का समापन 14 अक्टूबर दिन शनिवार को होगा. पंचांग के अनुसार, 29 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा दोपहर 03 बजकर 26 मिनट तक है और उसके बाद से आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी, जो 30 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक है.

कुंडली में कैसे होता है पितृ दोष का निर्माण
बता दें कि हिंदू धर्म में पूर्वजों का बहुत महत्व दिया जाता है. उनकी आत्मा की शांति के लिए व्यक्ति श्राद्ध, पिंडदान करते है. हर महीने की अमावस्या तिथि के अलावा पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को ही समर्पित होता है. इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, दान-पुण्य आदि किया जाता है. वहीं पितरों के नाराज होने पर कुंडली में पितृ दोष का निर्माण हो जाता है. पितृदोष के कारण जीवन में कई तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसके साथ ही मनुष्य कई तरह के कष्टों का सामना करता है. ऐसे में आइए जानते है कि कुंडली में पितृ दोष का निर्माण कैसे होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है ?

क्या होता है पितृदोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती, 84 लाख योनियों में भटकते रहते है तो ये आत्माएं पृथ्वी लोक में रहने वाले अपने वंश के लोगों को कष्ट देती हैं. इसी कष्ट को ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष कहा गया है. मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु लोक से हमारे पूर्वजों की आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों को देखती रहती हैं. जो लोग अपने पूर्वजों का अनादर उनके बताये गए रास्ता पर नहीं चलते है, या उन्हें कष्ट पहुंचाते है. जिस कारण इससे दुखी दिवंगत आत्माएं उन्हें शाप देती हैं इसी शाप को पितृ दोष माना जाता है.

पितृ दोष से मुक्ति के लिए करें ये आसान उपाय

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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