Dev Deepawali 2023: 26 नवंवर को मनाई जाएगी देव दीपावली, यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त, दीपदान समय और कथा

Written By ऋतु सिंह | Updated: Nov 17, 2023, 09:12 AM IST

Dev Deepawali 2023

देव दीपावली यानी देवताओं की दिवाली कार्तिक मास में होती हौ और दिवाली के ठीक 15 दिन बाद देवता काशी की धरती पर उतरते हैं. यह पर्व मुख्य रूप से काशी में गंगा नदी के तट पर मनाया जाता है.

डीएनए हिंदीः देव दिवाली का त्योहार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते चरण) के चौदहवें दिन मनाया जाता है, जिसे छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है, और अमावस्या के दिन मुख्य दिवाली त्योहार मनाया जाता है. इसके अतिरिक्त, कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दिवाली होती है. विभिन्न स्थानों पर जहां देव दिवाली मनाई जाती है लेकिन मुख्यतः ये वाराणसी (काशी) में होती है और माना जाता है कि इस दिन काशी की धरती पर देवता उतरते हैं.

देवों की इस दिवाली पर वाराणसी के घाटों को मिट्टी के दीयों से सजाया जाता है. काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. काशी में दिवाली की रौनक ऐसी होती है कि लोग गंगा नदी के किनारे जगमगाते घाटों की चमक में डूब जाते हैं. देव दिवाली का जश्न देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक यहां इकट्ठा होते हैं. हालांकि इस साल तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. 

किस दिन है देव दीपावली 
26 नवंबर को देव दीपावली है और इस दिन शाम के समय 11, 21, 51, 108 आटे के दीये बनाकर उनमें तेल डालें और किसी नदी के किनारे प्रज्वलित करके अर्पित करना चाहिए.

देव दिवाली शुभ मुहूर्त:

देव दिवाली के लिए प्रदोष काल (अनुष्ठान के लिए शुभ समय): शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक, 2 घंटे 39 मिनट तक.
पूर्णिमा का आरंभ 26 नवंबर की शाम 3 बजकर 53 मिनट पर.
पूर्णिमा का समापन 27 नवंबर को दोपहर 2:45 बजे.

27 नवंबर को सूर्योदय के समय गंगा स्नान भी होगा. साथ ही शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलने वाला कार्तिक मास भी इस दिन संपन्न हो जाएगा.

देव दिवाली का महत्व:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस था जो मनुष्यों, देवताओं और ऋषियों को परेशान करता था. देवताओं ने भगवान शिव से इस खतरे को खत्म करने की अपील की. भगवान शिव ने उन्हें राक्षस के विनाश का आश्वासन दिया. बाद में भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया. देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए, वे काशी (वाराणसी) पहुंचे और कई दीपक जलाकर जश्न मनाया. यह घटना कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन घटित हुई, यही कारण है कि काशी में हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन दिवाली मनाई जाती है.

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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