Devshayani Ekadashi 2023: देवशयनी एकादशी पर कभी न करें तुलसी से जुड़ी ये गलतियां, दुष्परिणाम से बर्बाद हो सकता है जीवन

Aman Maheshwari | Updated:Jun 21, 2023, 02:06 PM IST

Devshayani Ekadashi 2023

Devshayani Ekadashi 2023: देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है. देवशयनी एकादशी तिथि पर तुलसी के पौधे से जुड़ी कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए.

डीएनए हिंदीः सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष धार्मिक महत्व होता है. एकादशी (Ekadashi 2023) तिथि भगवान विष्णु (Ekadashi Puja 2023)  की पूजा-अर्चना के लिए खास मानी जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी को एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat 2023) रखा जाता है. इस प्रकार साल में 24 एकादशी होती है. इनमें से आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) के रूप में मनाया जाता है. देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है. देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) तिथि पर तुलसी के पौधे से जुड़ी कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए. चलिए आपको बताते हैं कि देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) कब है और इस दिन किन गलतियों को नहीं करना चाहिए.

देवशयनी एकादशी 2023 तिथि (Devshayani Ekadashi 2023 Date)
देवशयनी एकादशी शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाई जाती है. इस तिथि की शुरुआत 29 जून को सुबह 3 बजकर 18 मिनट पर हो रही है. जिसका समापन 30 जून को सुबह 2 बजकर 42 मिनट पर होगा. उदय तिथि के अनुसार देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को मनाई जाएगी.

 

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इस दिन न करें ये गलतियां
- देवशयनी एकादशी पर तुलसी के पौधे को जल नहीं चढ़ाना चाहिए. तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है जो एकादशी पर निर्जला व्रत रखती है. ऐसे में इस दिन तुलसी के पौधे को जल न चढ़ाएं.
- तुलसी के पौधे की पत्तियों का औषधि महत्व होता है. हालांकि आपको एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए.
- तुलसी में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है. मां लक्ष्मी हमेशा साफ स्थान पर ही विराजमान होती है ऐसे में तुलसी के पास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
- तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व होता है. इसकी पूजा भी की जाती है ऐसे में तुलसी को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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