Dhanteras 2024: दिवाली से पहले धनतेरस पर क्यों किया जाता है दीपदान, जानें इसकी वजह, महत्व, मंत्र और शुभ मुहूर्त

Written By नितिन शर्मा | Updated: Oct 23, 2024, 04:11 PM IST

धनतेरस से ही दिवाली के त्योहार की शुरुआत होती है. इस दिन खरीददारी करने से लेकर दीपदान करने का विशेष महत्व है. 

Dhanteras 2024: हिंदू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक दिवाली भी है. यह कार्तिक माह में आती है. यह पांच दिनों का त्योहार है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है. इस बार धनतेरस 29 अक्टूबर यानी मंगलवार को मनाई जाएगी. इस दिन खरीदारी करने से लेकर शाम को यमराज को प्रसन्न करने के लिए दीपदान करने की परंपरा है. इसे बड़ा ही खास माना जाता है. इस दिन दीपदान करने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती है. आइए जानते हैं इस बार धनतेरस पर दीपदान का मुहूर्त, मंत्र और महत्व...

धनतेरस पर ये है दीपदान का शुभ मुहूर्त

धनतेरस पर शाम के समय प्रदोष काल में यमराज के लिए दीपदान किया जाता है. इस बार 29 अक्टूबर 2024 को मंगलवार के दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 38 मिनिट से शुरू होगा. यह 6 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. वहीं दीपदान के लिए आपको पूरे 1 घंटे 17 मिनट का समय मिलेगा. इस दौरान आप दीपदान कर सकते हैं.

धनतेरस पर ये हैं दीपदान की विधि और मंत्र 

धनतेरस पर खरीददारी करने के साथ ही शाम के समय दीपदान किया जाता है. इस  पर मिट्टी का एक बड़ा दीपक जलाकर यम के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले एक बड़ा दीपक लें. इसमें रूई की 2 बड़ी बत्तियां लेकर इस तरह रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुहं दिखाई दें. इसके बाद तिल का तेल डालें. इसमें काले तिल डालें. इसके बाद रोली, चावल और फूलों को अर्पित कर दक्षिण दिशा की तरफ दीपक को जलाकर रख दें. इसके साथ ही मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह.त्रयोदश्यां दीपदनात् सूर्यज: प्रीयतामिति.. मंत्र का जप करें. 

धनतेरस पर ​क्यों किया जाता है दीपदान

पुराणों में धनतेरस में दीपदान करने के पीछे की वजह बताई गई है. यह परंपरा बहुत पुरानी है. कथा के अनुसार, एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि तुम हर दिन हजारों लोगों के प्राण लेकर आते हो, क्या कभी तुम्हें किसी पर दया नहीं आई. यमराज की बात सुनकर यमदूत ने कहा कि ‘मृत्यु लोक पर हेम नाम का एक राजकुमार था. उसके जन्म होने पर ज्योतिषियों ने उसके पिता को बताया कि जब भी बालक विवाह करेगा. उसके चार दिन इसकी मृत्यु हो जाएगी. राजा ने अपने बालक के प्राण बचाने के लिए उसे एक गुफा में रखकर बड़ा किया. वहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल था, लेकिन एक दिन राजा हंस की बेटी यमुना तट पर घूमते-घूमते उस गुफा में पहुंच गई. राजकुमार ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया. इसके चार दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई. युवा पति की मृत्यु देख उसकी पत्नी जोर-जोर से रोने लगी. उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमें बहुत दुख हुआ था.‘ तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा ‘क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है’ यमराज ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति धनतेरस की शाम को मेरे निमित्त दीपदान करें तो उसे और उसके परिवार के किसी भी सदस्य को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा.’ यही वजह है कि धनतेरस की शाम को दीपदान किया जाता है. 
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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