Laxmi Pujan Diwali 2023 Muhurat Time: इस बार तीन शुभ मुहूर्त में होगी दीवाली की पूजा, जानें मां लक्ष्मी की पूजा विधि और महत्व 

Written By नितिन शर्मा | Updated: Nov 11, 2023, 06:58 AM IST

दिवाली का त्योहार अमवस्या तिथि में मनाया जाता है. इस बार यह तिथि रविवार दोपहर से लेकर सोमवार तक रहेगी. हालांकि दिवाली का त्योहार रविवार को मनाया जाएगा. 

डीएनए हिंदी: इस बार दिवाली पर तीन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. इन तीनों में किसी भी एक में माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने पर शुभ फल प्राप्त होते हैं. दिवाली का त्योहार अमावस्या ति​थि में मनाया जाता है. इस बार अमवस्या की तिथि रविवार से लेकर सोमवार तक रहेगी, लेकिन दिवाली रविवार 12 नवंबर को ही मनाई जाएगी. रविवार दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से अमावस्या तिथि शुरू होगी. इस दिन तीन मुहूर्त बन रहे हैं, जिनमें मां लक्ष्मी की पूजा करना बेहद शुभ है. प्रदोष काल शाम के 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. यह समय लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा के लिए बेहद शुभ रहेगा. आइए जानते हैं दिवाली के और मुहूर्त और पूजा विधि

दिवाली पर पूजा के शुभ मुहूर्त 

इस बार दिवाली पर एक या दो नहीं, बल्कि तीन शुभ मुहूर्त पड़ रहे हैं. इन तीनों शुभ मुहूर्त में से किसी एक में पूजा कर सकते हैं. इससे मां लक्ष्मी और गणेश जी प्रसन्न होते हैं. विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर भगवान सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे. इसी कड़ी में पहला शुभ मुहूर्त दिवाली की शाम 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. इसम समय ममें अमृत की चोगड़ियां होगी. वहीं दूसरा मुहूर्त निशीथ काल में होगा. यह रात को 8 बजे से 11 बजे तक रहेगा. इस समय में कनक धारा मंत्र का जाप करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. वहीं तीसरा और आखिरी मुहूर्त महा निशीथ काल का होगा. यह रात को 11 बजे से मध्य रात्रि 2 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में माता की तंत्र की साधना विशेष फल दाई होगी.

यह है माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा विधि 

-दिवाली से पहले ही सफाई करना बेहद महत्वपूर्ण है. घर को अच्छी तरह से साफ करके पूजा घर को भी साफ कर लें. इसके बाद घर को दीवाली की मोमबत्ती और दीपक से रोशन करें. इस दिन रंगोली, फूलों की माला, केला व अशोक के पत्तों से तोरण द्वार बनाएं जाते हैं, जो साज सज्जा के साथ ही काफी शुभ भी होते हैं. 

-पूजा स्थल पर लाल सूती कपड़ा बिछा लें. इसके बाद बीच में कुछ साबुत चावल के दाने रखें. चांदी या फिर कांसे के कलश में जल भरकर रख लें. कलश में सुपारी, फूल, एक रुपये का सिक्का और कुछ चावल डाल दें. अब कल पर पांच आम के पत्ते रख दें. 

-माता रानी के कलश को दाहिनी तरफ दक्षिण पश्चिम दिशा में भगवान गणेश जी की मूर्ति या फोटो के बीच देवी माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें. साथ ही छोटी थाली में चावल रखें. इकसे अलावा हल्दी से कमल का फूल बनाकर इसमें पैसे डालें और मूर्ति के सामने रख दें. 

-पूजा शुरू करने से पहले माता रानी के सामने अकाउंट की बुक, पैसे, गहने और व्यापार से संंबंधित कागजात भी रखते हैं. इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. हर चीज में बढ़ोतरी करती हैं. माता की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं. इसके बाद हथेली में फूल रखें और माता रानी के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी भी फूलों को अर्पित कर दें. 

-लक्ष्मी की मूर्ति को जल स्नान के रूप में पंचामृत अर्पित करें. देवी को मिठाई का भोग लगाने के साथ ही हल्दी, कुमकुम और माता पहनाएं. अगर और धूप लाकर माता रानी को दें. माता रानी की सबसे प्रिय चीजों में शामिल नारियल, सुपारी और पान का पत्ता चढ़ाएं. इसके बाद माता रानी की आरती करें. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.  

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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