Diwali : दिवाली केवल श्रीराम के अयोध्या लौटने के कारण ही नहीं, इन 4 वजहों से भी है खास

ऋतु सिंह | Updated:Oct 15, 2022, 06:23 PM IST

दिवाली केवल श्रीराम के अयोध्या लौटने के कारण ही नहीं, इन 4 वजहों से भी है खास

Interesting Fact Related to Diwali: दिवाली केवल भगवान राम के अध्योध्या लौटने की खुशी में ही नहीं, चार वजहों से भी बेहद खास मानी जाती है.

डीएनए हिंदीः दिवाली पर 14 साल का वनवास काटकर भगवान श्रीराम अयोध्या पहुंचे थे और उनके लौटने की खुशी में लोगों ने उस दिन उत्सव मनाया था और हर साल तब से दिवाली मनाई जाने लगी लेकिन क्या आपको पता है कि दिवाली मनाने की और भी कुछ खास वजहें हैं.

कार्तिक अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है और इस साल सोमवार 24 अक्टूबर को दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा. हममें से बहुत लोगों को यही पता होता है कि रावण को मारने के बाद 20 दिन बाद जब भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण जब अध्योध्या वापस आए थे और इसी कारण दिवाली मनाई जाती है लेकिन इस पर्व से कई मान्यताएं और परंपराएं और भी जुड़ी हुई हैं. दीपावली मनाने की सबसे प्रमुख कारण तो भगवान श्रीराम से जुड़ा है ही इसके अलावा किन वजहों से दीपावली खास हैए चलिए जानें. 

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नरकासुर का हुआ वध
द्वापरयुग में नरकासुर नाम के राक्षस का वध भगवान श्रीकृष्ण ने किया था क्योंकि उस राक्षस ने 16 हजार महिलाओं का अपहरण कर लिया था. तब भगवान कृष्ण ने उन महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था. नरकासुर के वध और उसके आतंक से मुक्ति की खुशी में भी हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को दीप जलाए जाते हैं. 

पांडवों का मिला था अपना राज्य
पैराणिक कथा के अनुसार कौरवों ने जब छल से पांडवों का राज-पाठ ले लिया था और उन्हें उन्हें 13 वर्ष तक वनवास पर जाना पड़ा था. वनवास से लौट कर जब पांडव आए तो कौरवों और उनके बीच महाभारत हुई थी. युद्ध में विजय प्राप्त करके जब पांडवों ने नगर में प्रवेश किया तो नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था और तब भी दीपावली मनाई गई थी.

राजा बलि को मिला सुतल लोक के राजा
एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन रूप लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में लेकर उनका सर्वस्व ले लिया और उन्हें सुतल लोक का राजा बना दिया था. सुतल में रहने वाले लोगों को जब ये पता चला तो उन्होंने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. वहीं स्वर्ग के सुरक्षित होने पर भी देवताओं ने दीपोत्सव मनाया. तभी ये दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है. 
जब स्वर्ग में फिर लौटी श्री यानी लक्ष्मी
एक बार क्रोधित होकर ऋषि दुर्वासा ने इंद्र को श्राप दिया  था कि स्वर्ग श्रीविहिन हो जाएगा और इस श्राप के कारण देवी लक्ष्मी को स्वर्ग सहित भगवान विष्णु को छोड़कर समुद्र में जाना पड़ा था. इसके बाद देवताओं और असुरों में जंग हुई थी और समुद्र मंथन किया गया और तब उसमें से अनेक रत्नों के साथ देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं. देवी लक्ष्मी ने भगवान नारायण का वरण किया था और तभी ये दीपावली मनाई जाने लगी. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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