डीएनए हिंदीः दिवाली (Diwali) की रात जिमीकंद (Jimikand) यानी सूरन की सब्जी (Vegetable) खाना शुभ होता है और इसके पीछे कुछ मान्यता भी है. दिवाली की रात परंपरागत (Diwali Special Jimikand) तौर पर जिमीकंद बनता है.
सूरन की सब्जी बनाने की परंपरा बनारस और पूर्वांचल के कुछ शहरों में है. मान्यता है कि इस दिन अगर सूरन की सब्जी न खाई जाए तो अगले जन्म में छछूंदर बनते हैं. हालांकि इसे खाने के पीछे की वजह अगर सेहत से जोड़कर देखी जाए तो इसका अलग ही महत्व है.
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असल में सूरन जमीन के नीचे से निकलने वाली सब्जी है और इसे एक बार बो दिया जाए तो अपने आप ये सालों साल उगती रहती है. वहीं ये सेहत के लिए भी बहुत लाभकारी होती है.
खनिज और विटामिन से भरी है ये सब्जी
सूरन में एंटीऑक्सीडेंट्स, बीटा केरोटीन, विटामिन, खनिज, कैलोरी, फैट, कार्ब्स, प्रोटीन, पोटेशियम और घुलनशील फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. यही कारण है कि अगर जड़ वाली सब्जी की बात की जाए तो ये पोषण का पावर हाउस है. और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ताा है. लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण ये डायबिटीज से लेकर कैंसर रोगियों तक के लिए फायदेमंद होता है.
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सूरन ब्रेन को एक्टिवेट करता है.
क्योंकि सूरन बहुत से लोग खाने से बचते हैं इसलिए इसे ज्योतिष से जोड़कर देखा जाता है. सूरन की सब्जी से लेकर चोखा यानी भर्ता तक बनाया जाता है. स्वाद और सेहत दोनों में ही इसका जवाब नही होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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