Dussehra Upay: दशहरे पर भूलकर भी किसी को न दें घर की ये चीजें, वरना सुख-शांति और पैसा सब खत्म हो जाएगा

Written By ऋतु सिंह | Updated: Oct 11, 2024, 07:31 AM IST

दशहरे पर किन चीजों का दान न करें

त्योहार के दिन दान करने से पहले सोचें. क्योंकि हर कुछ दान नहीं करना चाहिए. दान करना वास्तव में पुण्य का काम है लेकिन. किस तरह की चीजों का दान नहीं करना चाहिए, ये भी जानना जरूरी है क्योंकि कुछ चीजों के दान से सुख-शांति, पैसा, खुशहाली जा सकती है.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार विजयादशमी दुर्गा पूजा के बाद शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन  से हम सभी विजयादशमी का त्यौहार मनाते आ रहे हैं. इस त्यौहार में लोग.. मंदिर जाते हैं. भगवान के दर्शन करते हैं. इतना ही नहीं हथियारों की पूजा भी करते हैं. शस्त्र पूजा का अर्थ है.  बुरी शक्तियों का नाश. हालाँकि, कई लोग त्योहार के कारण इस दिन बहुत दान करते हैं. लेकिन कुछ लिस्ट यहां दे रहे हैं. ये दान कभी न करें.

1. चमड़े का सामान 

हिंदू धर्म में जानवरों को बहुत पवित्र माना जाता है. चमड़े का सामान जानवरों की खाल से बनाया जाता है. इसलिए इन्हें दान करना जानवरों का अपमान माना जाता है. इसलिए दशमी जैसे पवित्र त्यौहार पर चमड़े का सामान दान करना अपवित्र माना जाता है. तोइस तरह की चीजों का दान नहीं करना चाहिए.

2. किसी भी नुकीली चीजों का दान

माना जाता है कि नुकीली वस्तुओं का दान घर में अशांति, तनाव, कलह पैदा करता है. ये चीजें नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं. ऐसा माना जाता है कि इससे परिवार के सदस्यों के बीच रिश्ते खराब हो जाते हैं. नुकीली वस्तुएं दान करने से घर में आर्थिक हानि होती है.

इन बातों से देवी लक्ष्मी क्रोधित हो गईं. माना जाता है कि घर से धन चला जाता है. नुकीली वस्तुएं अशुभ मानी जाती हैं. इन्हें दान करना या प्राप्त करना अशुभ माना जाता है. इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है.

3.पीली चीजों का दान 

पीला रंग बृहस्पति से संबंधित है. शाम के समय हल्दी का दान करने से बृहस्पति ग्रह कमजोर होता है, जिसका असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है. शाम के समय हल्दी का दान करने से नकारात्मक ऊर्जा आती है. घर में परेशानियां पैदा करता है. हल्दी को शुभ माना जाता है लेकिन शाम के समय इसका दान करना अशुभ संकेत माना जाता है.
 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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