डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में कई भगवान की पूजा केवल मंदिर में ही की जा सकती है, उन्हें घर के मंदिर में रखना निषेध होता है.पूजा-पाठ के भी नियम बनाए गए हैं. यदि इन नियमों का पालन न किया जाए तो पूजा का फल नहीं मिलता है. बल्कि कई बार आपको परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
ऐसे में एक नियम के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. घर के मंदिर में कुछ देवी-देवताओं की प्रतिमा या मूर्ति नहीं लगानी चाहिए. इनकी पूजा घर के बाहर किसी मंदिर में ही करना सही रहता है. आइए जानते हैं, कौन से हैं, वह देवी-देवता.
देवी गंगा
हिंदू धर्म में गंगाजल के सबसे पवित्र माना गया है और इसे घर में रखना बेहद शुभ होता है. लेकिन देवी गंगा की मूर्ति घर में रखना मना होता है.शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि, मां गंगा एक नदी हैं और नदी का स्वभाव होता है बहना. ऐसे में अगर घर में गंगा मां की मूर्ति रखी जाए तो यह बहाव को दर्शाता है. यानी कि घर में कुछ भी स्थिर नहीं है, सब कुछ अस्थिर और बह जाने वाला होता है. वास्तु में मां गंगा की प्रतिमा को रखना अस्थिरता को बताता है.
भैरव बाबा
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भैरवनाथ को काल भैरव के नाम से भी जाना जाता है. ये भगवान शिव के रौद्र अवतार माने जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इनकी पूजा घर के बाहर ही करनी चाहिए. मान्यता है कि घर में इनकी कोई भी प्रतिमा या मूर्ति लगाने से वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं, जिसका प्रभाव घर के सभी सदस्यों पर देखने को मिलता है.
शनि देव
नवग्रहों में शनि देव का न्याय प्रिय माना गया है. शनि कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि शनि की क्रूर दृष्टि किसी को भी बर्बाद कर देती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घर में शनि देव की मूर्ति स्थापित नहीं करना चाहिए.
महाकाली
सनातन धर्म में मां महाकाली का विशेष महत्व है. काली मां पार्वती का क्रोध वाला स्वरुप हैं. ऐसा कहा जाता है कि मां पार्वती के इस बेहद विकराल रूप की प्रतिमा को घर में स्थापित नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. ऐसे में अगर घर में महाकाली की प्रतिमा न ही लगाएं तो बेहतर होगा.
राहु-केतु
ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को छाया ग्रह माना जाता है. नवग्रह में राहु-केतु पापी ग्रहों की श्रेणी में आते हैं. इनकी पूजा ग्रहों के रूप में की जाती है. राहु-केतु एक ही हैं. शास्त्रों के अनुसार ये राक्षस था, तो अमृत पीकर अमर हो गए था. जब भगवान विष्णु ने इनकी गर्दन काटी तो ये दो भागों में बंट गया. राक्षस का सिर राहु और धड़ केतु कहलाया. इनकी प्रतिमा को घर के बाहर रखा जा सकता है, लेकिन घर के अंदर बिल्कुल स्थान न दें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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