डीएनए हिंदी: Shani Sade Satti 2023- शनि देव को न्याय का देवता कहते हैं और लोग उनसे डरते हैं. किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के 12वें, पहले, दूसरे और जन्म के चंद्र के ऊपर से होकर शनि गुजरे तो उस स्थिति को शनि की साढ़ेसाती कहते हैं. साल 2023 में 17 जनवरी को ऐसा होने जा रहा है, लेकिन अगर आप तीन देवताओं की पूजा करें तो आपके ऊपर शनि का प्रकोप कम होगा. आईए जानते हैं वौ कौन सी तीन राशियां हैं
पौराणिक और धार्मिक कथाओं में शनि देव मनुष्य के अच्छे बुरे कामों का हिसाब-किताब रखते हैं. वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं इसलिए इन्हें कर्मफलदाता कहा जाता है.
पंचांग के मुताबिक 17 जनवरी 2023 को रात्रि 8.02 मिनट में मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. शनि देव के कुंभ राशि में गोचर से मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जायेगी. मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा. हालांकि कुछ राशियों को साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति भी मिलेगी.
कुंभ में शनि के प्रवेश से कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैय्या शुरू हो जायेगी और मिथुन और तुला राशि को ढैय्या से मुक्ति मिल जायेगी.
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तीन देवता की करें पूजा
शनि देव भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त हैं. पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए मथुरा के कोसीकलां में कोकिलावन में कठोर तपस्या की थी,तब कृष्ण ने उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए थे. मान्यता है कि जो लोग श्री कृष्ण की पूजा करते हैं उन्हें शनि देव साढ़ेसाती और ढैय्या में भी शुभ फल देते हैं.
शनि के पिता सूर्य देव ने उनकी माता छाया और उनका अपमान कर दिया था. जिससे आहत होकर शनि ने शिव की कठोर तपस्या की. जिसके बाद शिवजी प्रसन्न होकर शनि को सभी ग्रहों का न्यायाधीश बना दिया. कहा जाता है कि जो लोग शिव की पूजा करते हैं उन्हें भी शनि परेशान नहीं करते हैं.
हनुमान जी एक बार शनि देव को जब अपनी शक्ति पर अहंकार हो गया तो हनुमान जी ने उनके अंहकार को चकनाचूर किया था. उसके बाद शनि ने हनुमान जी को वचन दिया था कि वे उनके भक्तों को कभी परेशान नहीं करेगें.
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