डीएनए हिंदी: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में दिशा को बहुत ही महत्वपूर्ण व खास माना जाता है. इसलिए घर बनवाते समय या उसे सजाते समय दिशाओं (Vastu Niyam) का खास ख्याल रखा जाता है. क्योंकि घर में अगर किसी भी दिशा में कोई दोष (Vastu Disha Dosh) हो तो उससे संबंधित ग्रह से हमें अशुभ फल मिलने लगते हैं. जिसकी वजह से व्यक्ति के जीवन में अचानक से परेशानियां बढ़ जाती हैं. दरअसल वास्तु शास्त्र (Vastu Tips) में हर दिशा का एक अलग देवता और अलग प्रतिनिधि ग्रह बताया गया है. ऐसे में जब भी किसी दिशा में कोई दोष उत्पन्न होता है, तो उस दिशा से संबंधित अशुभ फल हमारे जीवन में नजर आने लगते हैं. वास्तु शास्त्र में आठ दिशाओं के बारे में बताया गया है. तो चलिए जानते हैं कौन-सी हैं वो 8 दिशाएं और उनसे जुड़े उपाय (Vastu Disha Dosh Upay)..
पूर्व दिशा (East Direction)
इस दिशा के स्वामी ग्रह सूर्य और देवता इंद्र हैं. इसलिए इस दिशा में कोई दोष होता है तो परिवार के सदस्य बीमार होने लगते हैं. ऐसे में उन्हें मस्तिष्क और आंखों से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं. इसके अलावा कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ता है.
उपाय- इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप और आदित्यहृदय स्त्रोत का पाठ करें.
यह भी पढ़ें- घर के बेडरूम में सोचे वक्त इन चीजों को ना रखें, क्या है वास्तु टिप्स
पश्चिम दिशा (West Direction)
इस दिशा के अधिपति शनि ग्रह और देवता वरुण देव हैं. इसलिए जिनके घर में इस दिशा में दोष होता है, उनके परिवार में पेट से जुड़ी बीमारियां होने लगती हैं. इसके अलावा बार-बार एक्सीडेंट के योग बनते हैं और पैरों पर चोट लगती रहती है. साथ ही काम के अनुसार फल प्राप्त नहीं होता है.
उपाय- इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए प्रतिदिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए.
उत्तर दिशा (North Direction)
इस दिशा के अधिपति बुध ग्रह और देवता कुबेर देव हैं. इसलिए इस दिशा में दोष होने पर धन से जुड़ी समस्याएं आने लगती है. जिसकी वजह से बैंक बैलेंस कम होने लगता है या फिर अचानक कोई बड़ा खर्च सामने आ जाता है और जमा पूंजी भी खर्च होने लगती है. इसके अलावा और भी समस्याएं जीवन में बनी रहती हैं.
उपाय- घर में बुध और कुबेर यंत्र की स्थापना करें और रोज उसकी पूजा करें.
दक्षिण दिशा (South Direction)
इस दिशा के अधिपति मंगल ग्रह और देवता यम हैं. इसलिए इस दिशा में दोष होना बहुत ही अशुभ माना जाता है. इससे मृत्युसम कष्ट का अनुभव होता है और भाइयों में विवाद की स्थिति बनती रहती है. इसके अलावा घर में किसी न किसी बात पर क्लेश होता है.
उपाय- इस दिशा का दोष दूर करने के लिए हनुमान जी की पूजा करें.
यह भी पढ़ें- मालामाल होने के लिए करें ये उपाय, आर्थिक तंगी से बच जाएंगे
ईशान कोण (Ishan Kon)
उत्तर-पूर्व दिशा के मध्य स्थान को ईशान कोण कहा जाता है. इस दिशा के अधिपति गुरु ग्रह और देवता महादेव हैं. इसलिए घर में मंदिर बनाने के लिए ये कोण उपयुक्त माना जाता है. इस दिशा में दोष होने से बने हुए काम बिगड़ने लगते हैं और किस्मत का साथ नहीं मिलता.
उपाय- इस दिशा को हमेशा साफ सुथरा रखें और शिव जी की पूजा करें.
आग्नेय कोण (Igneous Direction)
दक्षिण-पूर्व के मध्य की दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है. इस दिशा के अधिपति शुक्र ग्रह और देवता अग्निदेव हैं. इसलिए इस दिशा में दोष होने पर अग्निजनित दुर्घटना होने का भय बना रहता है.
उपाय- इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए शुक्र यंत्र की स्थापना करें.
नैऋत्य कोण (Naritya Kon)
दक्षिण-पश्चिम के मध्य स्थान को नैऋत्य कोण कहा जाता है. इस दिशा पर राहु-केतु का आधिपत्य होता है और इस दिशा के देवता नैऋति देव को माना जाता है. इसलिए इस दिशा में दोष होने पर व्यक्ति गलत काम करने लगता है और नशे का आदि हो जाता है.
उपाय- सात प्रकार के अनाज जरूरतमंदों को दान करें.
वायव्य कोण (North West Wayu Kon)
उत्तर-पश्चिम के मध्य स्थान की दिशा को वायव्य कोण कहा गया है. इस दिशा के अधिपति चंद्रमा ग्रह और देवता वायु हैं. इसलिए इस दिशा में दोष होने पर मानसिक परेशानियां बढ़ जाती हैं और भ्रम की स्थिति बनने लगती है.
उपाय- इस दिशा के दोष का निवारण करने के लिए शिवजी की पूजा करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.