Lal Kitab के बारे में जानते हैं यह ख़ास बात? मुगल काल से जुड़ता है इतिहास

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 16, 2022, 11:31 AM IST

खुदाई के दौरान मिली थी लाल किताब की पट्टिकाएं

लाल किताब के उपयों के बारे में तो आपने सुना ही होगा लेकिन क्या आप इस किताब के इतिहास के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो जानें क्या है इस का इतिहास

डीएनए हिंदीः लाल किताब (Lal Kitab) में कई जटिल समस्याओं का साधारण और सरल उपाय मिल जाता है. इस किताब को फलित ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. लाल किताब में अनेक तरह के उपायों का जिक्र है जिसको करने से तमाम तरह की परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है. माना जाता है कि लाल किताब में वर्णित उपायों (Lal Kitab Upay) को करने से लोगों की हर प्रकार की समस्याओं का हल  हुआ है.

लाल किताब का इतिहास (Lal Kitab Ka Itihas)

लाल किताब के इतिहास को लेकर साफतौर पर कोई भी जानकारी नहीं मिलती है. लाल किताब का निर्माण मूल रूप से कब, किसने और कैसे किया इसकी जानकारी नही मिलती लेकिन पंजाब के रहने वाले पंडित रूपचंद जोशी ने इस किताब को 5 खंडों में प्रकाशित किया था. माना जाता है कि शुरुआत में लाल किताब के दस्तावेज फ़ारसी और अरबी भाषा में मिले थे इसलिए यह अनुमान लगाया जाता है कि इस पुस्तक को मुगल काल मे लिपिबद्ध किया गया होगा. 

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खुदाई के दौरान मिली थी लाल किताब की पट्टिकाएं 

कहा जाता है एक बार लाहौर में खुदाई का काम चल रहा था उस दौरान लोगों को ताम्बे की पट्टिकाएं मिलीं  जिसमें अरबी फ़ारसी शब्द में कुछ लिखा हुआ था. पंडित रूपचंद जोशी ने इन पट्टिकाओं पर लिखे हुए शब्दों को ध्यान से पढ़ा तो वह चकित रह गए इन पट्टिकाओं पर ज्योतिष से जुड़ी बातें लिखी हुई थी. जिसके बाद पंडित रूपचंद जोशी ने उन पट्टिकाओं को अपने पास रख लिया और उन पर लिखी हुई बातों को लाल कवर वाली एक पुस्तक में अंकित कर दिया.  

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जिसके बाद पंडित रूपचंद जोशी ने इस किताब को प्रकाशित करने के लिए भेज दिया. इसके साथ एक रोचक तथ्य यह भी है कि पंडित रूपचंद जोशी ने लेखक के तौर पर अपना नाम न लिखकर गिरधारीलाल लिखा. ऐसा उन्होंने इसलिए लिखा कि उन दिनों वह किसी सरकारी पद पर थे जिसकी वजह से पंडित रूपचंद जोशी यह कार्य नही कर सकते थे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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