महाभारत अनगिनत कहानियों से भरा एक महाकाव्य है. महाभारत का संदर्भ न केवल धार्मिक है, बल्कि इसके पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक पहलू भी हैं. महाभारत काव्य में हमें ऐसी अनगिनत कहानियां मिलेंगी जो आज के युग के लिए भी प्रासंगिक हैं. महाभारत काल के कई शहर आज भी हैं लेकिन नए नाम इनके क्या हैं और कौन सी जगह, आज क्या बन गई है, चलिए विस्तार से जानें.
महाभारत न केवल अतीत का इतिहास बताता है बल्कि कलियुग की जीवनशैली के बारे में भी जानकारी देता है. यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है. इसी प्रकार कलियुग में भी महाभारत के कई साक्ष्य मिलते हैं. यह स्थान महाभारत से जुड़े उन साक्ष्यों में से एक है जो आज भी प्रासंगिक है. महाभारत में वर्णित वर्तमान स्थान कौन से हैं?
अब पाकिस्तान में है महाभारत का तक्षशिला
तक्षशिला शहर का जिक्र आपने महाभारत में भी सुना होगा. यह विश्व का पहला विश्वविद्यालय होने का स्थान है. महाभारत काल में तक्षशिला गांधार क्षेत्र की राजधानी थी. यह तक्षशिला वह स्थान है जहां पांडवों के वंशज जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया था. तक्षशिला को वर्तमान में तक्षशिला के नाम से ही जाना जाता है. पहले यह शहर भारत के पंजाब में था, लेकिन 1947 में भारत के विभाजन के बाद यह स्थान अब पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में है.
महाभारत का विराट अब जयपुर है
जब पांडवों को 13 वर्ष के लिए वनवास भेजा गया तो इन 13 वर्षों में से एक वर्ष अज्ञातवास के दिन थे. पांडवों ने अपने अज्ञात निवास के लिए अरावली पहाड़ियों के बीच में स्थित विराट शहर को चुना. महाभारत कालीन विराट नगर वर्तमान राजस्थान में स्थित है. जयपुर तथा आसपास के नगर उस समय विराट नगर के अधिकार क्षेत्र में माने जाते थे.
महाभारत का पंचाल अब रुहेलखंड है
द्रौपदी पांचाल के राजा दुपद्र की बेटी थी. पांचाल की राजकुमारी द्रौपदी का घर कलियुग में एक अलग नाम से जाना जाता है. वर्तमान में पांचाल उत्तर प्रदेश के अधिकार क्षेत्र में है. बरेली, बदायूं और फर्रुखाबाद जिलों को मिलाकर पांचाल बनाया गया. वर्तमान में रोहिलखंड इन शहरों के बीच में माना जाता है.
दिल्ली ही थी इन्द्रप्रस्थ
महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ को पहले खांडवप्रस्थ के नाम से जाना जाता था. खांडवप्रस्थ में पहले वन थे. द्रौपदी से विवाह के बाद धृतराष्ट्र ने यह स्थान पांडवों को दे दिया था. लेकिन यह जगह रहने लायक नहीं थी. क्योंकि दूर तक घना जंगल था लेकिन पांडवों ने हार नहीं मानी और भगवान कृष्ण की सलाह पर उन्होंने खांडवप्रस्थ से जंगल हटाकर उसे रहने योग्य स्थान में बदल दिया. तत्कालीन इंद्रप्रस्थ अब भारत की राजधानी दिल्ली है.
महाभारत काल का व्याघ्रपत आज बागपत है
महाभारत काल में आज के बागपत को व्याघ्रपात के नाम से जाना जाता था. कुछ वर्ष पहले बाघपथ में 4000 वर्ष पुराना रथ मिला था. बागपत हस्तिनापुर जैसे ही ऐतिहासिक साम्राज्य का एक हिस्सा है. ऐसा माना जाता है कि महाभारत का युद्ध केवल कुरूक्षेत्र तक ही सीमित नहीं था. लेकिन आस-पास के कई स्थानों पर भी योद्धाओं के बीच युद्ध हुआ. ऐसी ही जगहों में एक है बागपत.
कुरुक्षेत्र
जिस जगह महाभारत हुई वह स्थान कुरुक्षेत्र था और आज भी ये हरियाणा में है और इसका नाम भी नहीं बदला गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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