Maha ashtami: बंगाल में क्यों खास होती है दुर्गा अष्टमी की पुष्पांजलि, किन गलतियों से बचना चाहिए

Written By सुमन अग्रवाल | Updated: Oct 02, 2022, 01:31 PM IST

Bengal में अष्टमी के दिन खास पूजा होती है, दुर्गा मां को अंचली दी जाती है और व्रत रखते हैं, क्या है इस दिन का महत्व जानिए

डीएनए हिंदी : Durga Maha Ashtami Significance in Bengal- वैसे तो बंगालियों के लिए दुर्गा पूजा (Durga Puja 2022) के नौ दिन ही बहुत ही खास होते हैं लेकिन पंचमी से विजया दशमी तक के दिन ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं. नवरात्रि के नौ दिन हर कोई अलग अलग तरह से सेलेब्रेट करते हैं लेकिन अष्टमी का दिन और भी ज्यादा खास होता है. बंगाल में इसे महाअष्टमी कहते हैं और इस दिन मां को अंचली देने का रिवाज है. दुर्गा मां के मंत्र का उच्चारण करके पंडित मां को पुष्पांजलि दिलवाते हैं.

3 अक्टूबर सुबह से ही मंदिर और पंडालों में मां के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगेगी. 

दुर्गा अष्टमी 3 अक्टूबर 2022 सोमवार 

अष्टमी तिथि प्रारम्भ-  02 अक्टूबर 2022 को शाम 06.47 पर.
अष्टमी तिथि समाप्त- 03 अक्टूबर 2022 को शाम 04.37 
महाष्टमी पूजा के अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:04 से 12:51 तक.

विजय मुहूर्त
दोपहर 02:27 से 03:14 तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:13 से 06:37 तक

अमृत काल:
शाम 07:54 से 09:25 तक

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क्यों खास है महाअष्टमी (Maha asthami Significance)

नवरात्रि के आठवें दिन को महाअष्टमी कहते हैं, इस दिन मां को पुष्पांजलि दी जाती है. दूर दूर से लोग का त्योहार मनाया जाता है 
इस दिन सभी लोग दुर्गा मां को फूल अर्पित करते हैं. महिलाएं सफेद और लाल पाड़ की सारी पहनती हैं और खूब अच्छे से तैयार होकर पंडालों पर पहुंच जाती हैं. आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा करने का विधान है. महागौरी को सौम्य देवी के रूप में पूजा जाता है. महागौरी का वाहन वृषभ है. इसके साथ ही देवी मां की चार भुजाएं है. मां के एक हाथ में त्रिशूल, एक में डमरू,तीसरे में अक्षय मुद्रा और चौथे में वर मुद्रा में हैं.

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इस दिन किन बातों का रखें खयाल (Keep these things in mind)

वैसे तो नवरात्रि के दौरान सुबह सुबह स्नान करके मां की पूजा की जाती है, लेकिन अष्टमी के दिन अंचली देने से पहले कुछ खाना नहीं चाहिए. इस दिन साफ और नए कपड़े पहनें. कई लोग तो फूल और फल का डाला भी बनाते हैं और मां को चढ़ाते हैं. 

पूजा और अंचली के बाद कभी भी किसी को सोना नहीं चाहिए,  शाम का समय बगुत ही शुभ होता है. संधि काल के समय 108 दीपक जलाए जाते हैं. अष्टमी के दिन संधि काल में ही दीपक जलाना शुभ माना जाता है.

कई लोग इस दिन ही व्रत रखते हैं, इस व्रत के दौरान भी कई बातों का ध्यान रखना चाहिए 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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