डीएनए हिंदीः Betul Ravan Dahan Tradition- हिंदू धर्म में विजयादशमी की तिथि को अत्यंत शुभ माना जाता है, पूरे देश में असत्य पर सत्य की जीत के दिन बुराई का प्रतीक माने जाने वाले रावण के पुतले को जलाने की परंपरा है (Dussehra 2022).बैतूल (Betul) में यह परंपरा अनोखी तरह से निभाई जाती है. यहां के लोग है रावण के जले पुतले की लकड़ियों को शुभ मानकर घर ले जाते हैं.
बैतूल में यह अनोखी रस्म धन धान्य की प्राप्ति के लिए निभाई जाती है. लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं , लोगों को इंतजार होता है कि रावण के पुतले का दहन जल्द हो तो उसकी अस्थियां यानी पुतले की जली लकड़ियों को अपने घर ले जा सकें. आइए जानते हैं कि रावण की अस्थियों को घर ले जाना क्यों माना जाता है इतना शुभ और कैसे हुई इस परंपरा की शुरुआत.
घर में रखना माना जाता है शुभ (Betul Ravan Dahan Tradition)
दशहरा पर्व पर रावण के पुतले के दहन के बाद दर्जनों लोग इसकी जली हुई लकड़ी बटोरने में जुट जाते है. हर किसी की कोशिश रहती है कि पुतला राख बन जाए इससे पहले उसकी लकड़ी कब्जे में कर ली जाए.
जली लकड़ियां जिसमे बांस की कीमचियां व लकड़ियां होती है, जिसे लोग जमीन पर रगड़कर बुझा लेते हैं और इन लकड़ियों को ठंडा कर अपने घर ले जाते हैं. इन लकड़ियों को ले जाकर लोग पूजन कक्ष में रख देते है, वहीं कई लोग इसे घर के मुख्य हिस्से में सुरक्षित रख देते है.
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धन धान्य की नहीं होती कोई कमी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण दहन के बाद लकड़ियां घर ले जाने से परिवार धन धान्य से परिपूर्ण रहता है. यहां के लोग मानते हैं कि रावण एक ज्ञानी पंडित था जिसके पैर में शनिदेव रहते थे, देवी-देवता ग्रह नक्षत्र भी उसके वश में थे. ऐसे में ज्ञानी पंडित होने की वजह से और धन-धान्य से परिपूर्ण होने के कारण उनकी राख और लकड़ी को घर ले जाने से सुख संपत्ति बनी रहती है और धन की कोई कमी नहीं रहती है.
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कहा जाता है कि रावण दहन के बाद पुतले की जली लकड़ी घर पर रखने से सब कुछ अच्छा होता है. इसलिए लोग इस दिन रावण के पुतला दहन के बाद उसकी लकड़ियां घर लेकर आते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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