Dussehra 2024: इस गांव में संतान प्राप्ति के लिए की जाती है रावण की पूजा, घूंघट में महिलाएं करती हैं कामना

Written By नितिन शर्मा | Updated: Oct 12, 2024, 07:06 AM IST

दशहरा के दिन देश भर में रावण का दहन किया जाता है, लेकिन कुछ जगहें ऐसी भी हैं, जहां रावण दहन की जगह पर उसकी पूजा अर्चना की जाती है. रावण से इच्छा पूर्ति के लिए मनोकामना की जाती है.

Dussehra 2024 Ravana Puja : शारदीय नवरात्रि के समाप्त होने के बाद ही दशहरा का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना करने के साथ ही दशमुखी रावण का पुतला दहन किया जाता है. यह त्योहार हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर आता है. इस साल कल यानि 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा. देशभर में कई जगहों पर रावण का पुतला जलाया जाएगा. वहीं एक जगह ऐसी भी है, जहां रावण दहन के दिन रावण का पुतला फूंके जाने की जगह उसकी पूजा की जाती है. यहां महिलाएं पूरी विधि विधान से रावण की पूजा अर्चना करने के साथ ही संतान प्राप्ति के लिए कामना करती हैं. 
आइए जानते हैं वो जगह और इससे रावण का संबंध...

यहां की जाती है रावण की पूजा

दरअसल मध्यप्रदेश के मंदसौर गांव में रावण दहन नहीं किया जाता है. यहां पर रावण की पूजा की जाती है. इसके पीछे की वजह मंदसौर को रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है. ऐसे में मंदसौर रावण का ससुराल हुआ. यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं. यही वजह है कि सब दशहरे पर रावण पुतला जलाने की जगह उनकी पूजा करते हैं. यहां मंदोदरी को अपने वंश की बेटी मानने वाला समाज रावण को दामाद के रूप में सम्मान देता है. उसकी पूजा अर्चना करता है.

महिलाएं घूंघट में करती हैं रावण की पूजा

मध्यप्रदेश के मंदसौर में नामदेव समाज की महिलाएं रावण से घूंघट करती हैं. वे रावण की पूजा भी घूंघट करके ही करती हैं. यहां मन्नत पूर्ति के लिए रावण के पैरों में धागा बांधती हैं. माना जाता है इस तरह से रावण की पूजा और धागा बांधने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण हो जाती है. लोगों का मानना है कि दशहरे के दिन रावण की पूजा करने से संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. 

ढोल बाजों के साथ की जाती है रावण की पूजा

रावण की पूजा ढोल नगाड़ों के साथ की जाती है. यहां दशहरे पर लोग संतान की प्राप्ति के लिए रावण से कामना करते हैं. इच्छा पूर्ति होने पर दशहरे के दिन ढोल नगाड़ों के साथ रावण की पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद शाम के समय रावण का दहन किया जाता है. इससे पहले लोग रावण से काफी मांगते हैं. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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