Dussehra 2024 Ravan Dahan : सनातन धर्म विजयादशमी का विशेष महत्व है. इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अयोध्या के लिए वापसी की थी. यही वजह है कि इस त्योहार को उत्सव और अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है. भगवान श्री राम और माता सीता की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. विजयादशमी यानी दशहरा हर साल आश्विन मास की शुक्ल् पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है. इस शस्त्र पूजा के साथ दशहरा पूजन और रावण दहन की प्रथा है. आइए जानते हैं इस बार पूजा से लेकर रावण दहन का शुभ समय और इसका महत्व...
दशहरा की पूजा का शुभ समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी. इसकी समाप्ति 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर होगी. ऐसे में विजयादशमी का त्योहार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसी दिन रावण दहन किया जाएगा. वहीं दशहरा पर शस्त्र पूजा का विधान है. यह दोपहर 2 बजकर 4 मिनट से 2 बजकर 50 मिनट तक किया जा सकेगा. इस समय में पूजा अर्चना करने पर भगवान की कृपा और विशेष लाभ प्राप्त होंगे.
यह है दशहरा पर रावण दहन का समय
इस बार रावण दहन पर श्रवण नक्षत्र बन रहा है. यह नक्षत्र 12 अक्टूबर की सुबह 5 बजकर 24 मिनट से शुरू होगा. वहीं इसकी समाप्ति 13 अक्टूबर को 4 बजकर 25 मिनट पर होगी. रावण दहन के लिए श्रवण नक्षत्र का होना बहुत ही आवश्यक और शुभ माना जाता है. ऐसे में शाम के समय 05 बजकर 50 मिनट से रात 07 बजकर 25 मिनट के बीच रावण दहन का आयोजन किया जाएगा.
जानें रावण दहन का महत्व
हर साल विजयादशमी पर रावण दहन का आयोजन किया जाता है. इसकी वजह त्रेतायुग से जुड़ी है, जहां भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. इसके साथ अधर्म पर धर्म की जीत के बाद फिर से धर्म की स्थापना की गई. शास्त्रों की मानें इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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