Dwijapriya Sankashti Chaturthi: आज है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत, नोट कर लें पूजा मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य का समय

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 09, 2023, 11:26 AM IST

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023: आज के दिन गणेश जी की पूजा, व्रत करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

डीएनए हिंदी: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में दो बार चतुर्थी तिथि होती है. एक कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (Sankashti Chaturthi) होती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2023) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh Ji) जी की पूजा का महत्व होता है. अब फाल्गुन माह की शुरूआत होने वाली है और इस माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023) कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा और व्रत करने से और चंद्रमा को अर्घ्य देने से गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संकट दूर होते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि इस साल द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023) कब मनाई जाएगी.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023)
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी की शुरूआत 9 फरवरी की सुबह 6 बजकर 23 मिनट से होगी और यह तिथि अगले दिन 10 फरवरी को सुबह 7 बजकर 58 मिनट कर रहेगी. सूर्योदय के आधार पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 9 फरवरी को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्योदय सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर होगा. इस दिन चंद्रोदय रात 9 बजकर 13 मिनट पर होगा. 

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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023 Puja Muhurat)
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर 9 फरवरी के दिन सुकर्मा योग बन रहा है. यह योग सुबह से लेकर शाम 4 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. इस योग में पूजा पाठ करना शुभ माना जाता है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर इस योग में पूजा करने से आपको धन-धान्य की प्राप्ति होगी और कार्यों में सफलता मिलेगी. इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी महत्व होता है. चंद्र अर्घ्य देने का समय रात 9 बजकर 18 मिनट से हैं. आपको चंद्रमा को दूध, जल और सफेद फूलों से अर्घ्य देना चाहिए. 

संकष्टी चतुर्थी पूजा (Sankashti Chaturthi Puja)
संकष्टी चतुर्थी पर स्नान और ध्यान करें. सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश जी की पूजा करें. गणेश जी की विधिवत पूजा करें गणपति जी को गंध, पुष्प, धूप आदि अर्पित करें. गणेश जी को लड्डू का भोग लगाएं. पूजा के समय ध्यान रखें कि पूजा में तुलसी का इस्तेमाल और काले कपड़े पहन कर पूजा न करें.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Sankashti Chaturthi Significance)
संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी कष्टों का अंत होता है. गणेश जी की विधिवत पूजा-अर्चना करने से और उन्हें प्रसन्न करने से जीवन की सभी बांधाएं दूर हो जाती है. इससे भगवान गणेश जी आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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