Ekadashi Vrat Chawal: तो इसलिए एकादशी पर नहीं खाते चावल, ये है धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Written By सुमन अग्रवाल | Updated: Nov 03, 2022, 09:45 AM IST

Ekadashi vrat के कुछ नियम हैं, उनमें से एक है चावल नहीं खाना, इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण है.

डीएनए हिंदी: Ekadashi Ke Din Chawal Kyun Nahi Khate- सनातन धर्म में कई व्रत त्योहार आते हैं लेकिन एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat)  काफी महत्व रखता है. एकादशमी के व्रत में कई नियमों का पालन करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में चावल नहीं खाया जाता. हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में दो एकादशी पड़ती हैं और इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.अगर आप व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आपको व्रत का फल नहीं मिलता है. एकादशी के दिन बताया जाता है कि तामसिक भोजन से परहेज रखना चाहिए और चावल नहीं खाना चाहिए, कहा जाता है कि इसे खाने से मन में अशुद्धता आती है. चलिए इसके पीछे के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण को समझते हैं.

इस दिन नहीं खाना चाहिए चावल

एकादशी व्रत के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.मान्यता यह है कि एकादशी के दिन पानी की अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए क्योंकि पानी अस्थिरता से जुड़ा होता है. चावल की खेती के दौरान पानी ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है और चंद्रमा भी पानी को आकर्षित करता है. अगर आप व्रत रखते हैं तो और चावल खाते हैं तो चंद्रमा की किरणें उसके मन पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं. ऐसे में व्यक्ति के लिए व्रत पूरा करना कठिन हो सकता है.

यह भी पढ़ें- घर पर करें तुलसी विवाह, इन सामग्री के बगैर अधूरी है पूजा 

वैज्ञानिक मान्यता (Scientific Reason) 

इस बात का एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है. वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, चावल को खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ जाती है, इससे मन विचलित और चंचल होने लगता है. मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है.

यह भी पढ़ें- कब है देव उठनी एकादशी, पूजा तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व 

धार्मिक कारण


माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था, इसके बाद उनके शरीर का अंश धरती माता के अंदर समा गया, मान्यता है कि जिस दिन महर्षि का शरीर धरती में समा गया था, उस दिन एकादशी थी. कहा जाता है कि महर्षि मेधा ने चावल और जौ के रूप में धरती पर जन्म लिया, यही वजह कि चावल और जौ को जीव मानते हैं इसलिए एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाते. मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त के सेवन करने जैसा माना जाता 

विष्णु पुराण में क्या है

विष्णु पुराण में कहा गया है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति के सभी गुण समाप्त हो जाते हैं क्योंकि चावल मुख्य रूप से भगवान का भोजन है. इसलिए जहां तक ​​हो सके एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित करें ताकि किसी भी पाप से बचा जा सके.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.