डीएनए हिंदीः कई बार आपने देखा होगा की किसी का भाग्य अचानक से चमकता (Luck Suddenly Shines) है और वह बुलंदियों को छूने लगता है. ऐसा तब होता है जब उसकी राशि का भाग्योदय काल (Zodiac Fortune Rise) होता है.
असल में हर राशि के भाग्य के उदय (Luch Shine Time) होने का एक निश्चित समय होता है और जब उस राशि का जातक उस उम्र में पहुंचता है तो उसका भाग्योदय होता है. हर किसी के जीवन में भाग्योदय काल आता है, बस उस वक्त जातक पर निभर करता है कि वह उस भाग्योदय को किस तरह से भुना रहा है.
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कई बार जीवन में भाग्योदय काल आ कर चला भी जाता है और जातक को उसका लाभ नहीं मिलता क्योंकि वह उस काल में उसके अन्य ग्रहों की स्थिति, व्यवहार, उसके कार्य उसे भाग्योदय को प्रभावित करते हैं. अगर जातक की दिशा और दशा सही हो तो भाग्योदय का लाभ जरूर मिलता है.
प्राचीन पुस्तक भृगु संहिता अनुसार व्यक्ति अपने जीवन के भाग्योदय को जान सकता है. ज्योतिष अनुसार कुंडली का प्रथम भाव ही जीवन की दिशा और दशा निर्धारित करता है. प्रथम भाव को लग्न भाव कहा जाता है, यदि कोई अपना लग्न जान गए तो अपना भाग्योदय का समय भी जान सकेगा. तो चलिए जानें कि किस राशि का भाग्योदय काल किस उम्र में होता है.
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मेष : मेष लग्न का 16 आयु की वर्ष में भाग्योदय होता है. यदि किसी कारण 16 वर्ष की आयु में भाग्योदय नहीं होता है तो 22 वर्ष, 28 वर्ष, 32 वर्ष और 36 वर्ष में भाग्योदय की प्रबल संभावना होती है.
वृषभ : वृषभ लग्न का भाग्योदय 25 वर्ष की आयु में होता है. यदि किसी कारण 25 वर्ष की आयु में भाग्योदय नहीं होता है तो 28 वर्ष, 36 वर्ष और 42 वर्ष भी सौभाग्यशाली होता है.
मिथुन : मिथुन लग्न का भाग्योदय 22 वर्ष की उम्र में हो जाता है, अधिक से अधिक 42 वर्ष की आयु में भाग्योदय हो जाता है. इसके बीच में सौभाग्यशाली उम्र है 32 वर्ष, 33 वर्ष और 36 वर्ष है.
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कर्क : यदि किसी व्यक्ति की कुंडली कर्क लग्न की है तो उसक जातक का भाग्य 16 वर्ष की उम्र में चमकने लगता है. इसके अलावा 22 वर्ष से लेकर 25 वर्ष की उम्र भाग्यशाली माना जाता है. इसके बाद 28 वर्ष या 32 वर्ष की आयु भी भाग्यशाली मानी जाती है.
सिंह : सिंह लग्न का भाग्य 16 वर्ष की आयु में हो ही जाता है. इसके बाद उनके किस्मत के सितारे चमकने लगते हैं. इसके बाद 22 वर्ष, 24 वर्ष, 26 वर्ष या फिर 28 वर्ष की आयु में भाग्योदय होता है.
कन्या : कन्या लग्न का भाग्य उदय 16 वर्ष की उम्र में हो ही जाता है, यदि किसी कारणवश नहीं हुआ तो 22 वर्ष, 25 वर्ष, 32 वर्ष, 33 वर्ष, 35 वर्ष या 36 वर्ष की उम्र में हो ही जाता है.
तुला : तुला का भाग्य विलंब से उदय होता है. वैसे तो 24 वर्ष की आयु में भाग्योदय होता है लेकिन किन्ही कारणवश नहीं हुआ तो 25 वर्ष की आयु में संकेत प्राप्त होते हैं. इनके लिए 32 वर्ष, 33 वर्ष या 35 वर्ष इनके लिए शुभ होता है.
वृश्चिक : वृश्चिक का भाग्योदय देरी से होता है. 22 वर्ष की आयु में संकेत तो मिलते हैं लेकीन ज्यादातर 24 वर्ष की आयु के बाद ही इनको भाग्य का साथ मिलता है. इसके बाद 28 वर्ष या फिर 32 वर्ष की आयु में भाग्योदय होने की संभावना होती है.
धनु : जन्म कुंडली में धुन लग्न है तो 16 वर्ष की आयु में भाग्योदय होता है. इसके बाद 22 वर्ष या फिर 32 वर्ष के आयु में भाग्योदय होता है.
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मकर : मकर लग्न के जातकों का भाग्योदय 25 वर्ष की आयु में आरंभ होता है, इसके बाद 33 वर्ष, 35 वर्ष या फिर 36 वर्ष की आयु में उनके लिए अच्छी संभावना लेकर आता है.
कुंभ : कुंभ लग्न का भाग्य थोड़ी देरी से खुलता है. इनका भाग्योदय 25 वर्ष की आयु में खुलता है, इसके बाद 28 वर्ष, 36 वर्ष या फिर 42 वर्ष की आयु में भाग्योदय की संभावना होती है.
मीन : इस लग्न के जातकों का भाग्योदय 16 वर्ष में होता है, इसके बाद 22 वर्ष, 28 वर्ष या फिर 33 वर्ष की आयु इनके लिए भाग्यशाली साबित होता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. )
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