डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में व्यक्तियों के कर्म को लेकर कई परंपराएं और मान्यताएं हैं. शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति के जीवनकाल में पाप-पुण्य और ऋण (Debts) उसका पीछा कभी नहीं छोड़ते हैं. जीवन में उसे इन सभी का हिसाब करना होता है. मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति को अपने तीन ऋणों (Three Debts) को उतारने के बाद ही उसे सभी संकटों से छुटकारा मिलता है. हालांकि कई शास्त्रों में तीन नहीं बल्कि चार ऋण (Four Types Of Debts) का उल्लेख हैं. तो चलिए इन ऋणों (Four Types Of Debts) के बारे में और इसे उतारने के उपायों के बारे में आपको बताते हैं.
इन चार ऋणों को उतारना होता है जरूरी (Four Types Of Debts)
1. देव ऋण
भगवान विष्णु के ऋण को देव ऋण कहा जाता है. धर्म का अपमान करने, भ्रम फैलाने और वेदों के विरुद्ध काम करने से यह ऋण दुष्प्रभाव डालता है. दान और यज्ञ करने से देव ऋण से मुक्ति पा सकते हैं.
देव ऋण मुक्ति उपाय
देव ऋण को उतारने के लिए रोज सुबह-शाम भगवान विष्णु, कृष्ण और हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इन तीनों भगवान के मंत्रों का जाप करने से देव ऋण को उतार सकते हैं.
2. ऋषि ऋण
ऋषि ऋण को भगवान शिव से संबंधित माना जाता है. भगवत गीता, उपनिषद आदि को पढ़कर ही इस ऋण लोगों में इसका ज्ञान बांटने से ही ऋण को उतारा जा सकता है.
ऋषि ऋण मुक्ति उपाय
महीनों तक गीता का पाठ करने और ब्रह्मचार्य का पालन करने से इस ऋण से मुक्ति पा सकते हैं. घी, केसर, चंदन का तिलक लगाने से भी लाभ मिलता है. एकादशी, प्रदोष और चतुर्थी व्रत करने से भी ऋषि ऋण से मुक्ति पा सकते हैं.
3. पितृ ऋण
पितृ ऋण पूर्वजों से संबंधित माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, पितृ ऋण को सबसे खतरनाक माना जाता है. इस ऋण के कारण व्यक्ति पर कर्ज चढ़ जाता हैं. ऐसे में व्यक्ति की मृत्यु बहुत ही कष्टकारी हो जाती है.
पितृ ऋण मुक्ति उपाय
श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर पितृ ऋण को उतार सकते हैं. हनुमान चालीसा के पाठ और घर के वास्तु को सही करके भी पितृ ऋण को उतार सकते हैं.
4. ब्रह्मा ऋण
ब्रह्मा ऋण को पितृ ऋण के अंदर ही माना जाता है. ब्रह्मा ऋण में ब्रह्मा जी का कर्ज उतारा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी और उनके पुत्रों ने हमें बनाया है. ऐसे में इसका ऋण उतारना पड़ता है. ब्रह्मा ऋण को उतारने के लिए आपको इस उपाय को करना चाहिए.
ब्रह्मा ऋण उपाय
ब्रह्मा ऋण को उतारने के लिए घृणा, छुआछूत, जातिवाद, प्रांतवाद से मुक्त हो जाना चाहिए. संसार में सभी व्यक्ति ब्रह्मा जी की संतान हैं. ऐसे में धर्म, रंग, जाति आदि किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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