Ganesh Chaturthi Modak: गणपति को क्यों पसंद हैं मोदक, क्या है 21 मोदकों के पीछे की कहानी

सुमन अग्रवाल | Updated:Aug 31, 2022, 08:18 AM IST

Ganesh Loves Modak- गणेश को मोदक का ही क्यों भोग लगाया जाता है, आईए जानते हैं क्यों उन्हें मोदक इतना पसंद है, 21 मोदकों की कहानी क्या है और इसके पीछे का महत्व

डीएनए हिंदी: Ganesh ko Modak Kyun pasand hai- गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) द्वार पर दस्तक दे रही है, ऐसे में हर कहीं उनके स्वागत की तैयारियां भी जोरों पर चल रही है. मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi kab hai) से ही गणेश महोत्सव की शुरुआत होती है और 10 दिन तक यह त्योहार चलता है.

महाराष्ट्र से लेकर देश के कई शहरों में धूमधाम से गणेश की पूजा होती है. इस साल 30 अगस्त (Ganesh Utsav 2022 date) को दोपहर में गणेश की स्थापना होगी और 10 दिन बाद उन्हें विसर्जित किया जाएगा. गणपति बप्पा के भोग की जब बात आती है तब लड्डू यानी मोदक (Ganesh Bhog Modak) के बगैर तो पूजा अधूरी रह जाती है. जी हां बप्पा का प्रिय भोग मोदक है.क्या आप जानते हैं उन्हें मोदक इतना क्यों प्रिय है, आईए इसके पीछे की शिव और माता पार्वती की कहानी सुनते हैं 

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Why Modak is favorite Food of Ganesh

कहते हैं कि गणेश जी के दांत टूटने की वजह से वह कोई हार्ड चीज नहीं खा सकते थे, मोदक मुलायम होते हैं और खाने में भी आसान होते हैं. इसलिए उनके लिए मोदक बनवाए गए

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पहली कथा (Shiv Parvati Katha) 

एक बार भगवान शिव सो रहे थे और गणेश जी द्वार पर पहरा दे रहे थे. तभी परशुराम वहां पहुंचे तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर रोक दिया. परशुराम क्रोधित हो गए और गणेश जी से युद्ध करने लगे. युद्ध में परशुराम ने शिव जी द्वारा दिए गए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया, जिससे गणेश जी का एक दांत टूट गया. दांत टूटने से गणेश जी को खाने चबाने में परेशानी होने लगी तो उनके लिए मोदक तैयार करवाए गए. मोदक मुलायम होते हैं और इसे चबाना नहीं पड़ता है, इसलिए गणेश जी ने पेट भर कर मोदक खाए तभी से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन बन गया

दूसरी कथा (Mata Anusuya) 

एक कथा गणेश जी और माता अनुसुइया से जुड़ी हुई है, एक बार गणपति जी माता पार्वती और भगवान शिव के साथ अनुसुइया के घर गए थे. माता अनुसुइया ने सोचा कि पहले गणेश जी को भोजन करा दिया जाए. वह गणेश जी को खाना खिलाती ही जा रहीं थीं पर गणपति की भूख खत्म ही नहीं हो रही थी. अनुसुइया ने सोचा कि कुछ मीठा खिला देती हूं तो शायद गणपति का पेट भर जाए. माता अनुसुइया ने गणेश जी को मोदक का एक टुकड़ा खिला दिया,जिसे खाते ही गणेश जी का पेट भर गया और उन्होंने जोर से डकार ली. इसके बाद भगवान शिव ने जोर-जोर से 21 बार डकार ली. तब से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन कहा जाने लगा और कहे जाने लगा कि 21 दिन की गणेश पूजा से मनचाहा फल मिलता है.

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तीसरी कथा (21 Modak)

मान्यता है कि गणेश जी को अगर 21 मोदक चढ़ाएं जाते हैं तो उनके साथ साथ बाकी के सभी देवी- देवताओं का पेट भी भर जाता है. इसी वजह से गणपति को भोग में मोदक अर्पित किया जाता है. ताकि उनके साथ ही अन्य सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त हो सके. मोद का अर्थ खुशी (Modak Means Happy) या हर्ष होता है. गणेश जी हमेशा खुश रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर उनके जीवन में भी खुशी लाते हैं. इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. भक्त भी भगवान गणेश को खुश करने के लिए मोदक, जिसका अर्थ खुशी होता है, का भोग लगाते हैं।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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