इस दिन मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी, जानें गणपति की स्थापना से लेकर पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

Written By नितिन शर्मा | Updated: Jul 30, 2023, 10:41 AM IST

अगस्त से अगले माह की गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की मूर्ति की घर में स्थापना कर पूजा अर्चना करते हैं. यह त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.  

डीएनए हिंदी: (Ganesh Chaturthi 2023 Date And Puja Vidhi) भगवान शिव पार्वती की के पुत्र गणेश जी सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा की जाती है. गणेश भगवान सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं. भगवान गणेश जी की चतुर्थी भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष में बहुत ही हर्षोल्लास से मनाई जाती है. इस साल गणेश चतुर्थी 18 सितंबर को मनाई जाएगी. गणेश चतुर्थी को 10 दिनों तक मनाया जाता है. ढोल-नगाड़ों के साथ भगवान गणेश का घरों में भव्य स्वागत किया जाता है. लोग उनकी प्रतिमा को घर में स्थापित कर विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना आरती और किर्तन करते हैं. 10 दिनों तक बड़े धूम-धाम से गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी को विदा किया जाता है. आइए जानते हैं इस साल की गणेश चतुर्थी का दिन तिथि, महत्व और पूजा विधि... 

कब है गणेश चतुर्थी

पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2023 समय दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से शुरू होगी. इसके बाद 19 सितंबर दोपहर 3 बजकर 13 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार, 19 सितंबर से गणेश चतुर्थी का जश्न मनाया जाएगा.

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गणेश स्थापना का ये है शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान की प्रतिमा की स्थापना का शुभ समय 19 सितंबर 2023 को सुबह बजकर 7 मिनट से शुरू होकर दोहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में गणपति बप्पा की मूर्ति घर में ला सकते है. भगवान की प्रतिमा घर में स्थापित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. सभी काम खुद ब खुद बन जाते हैं. भगवान शुभ फल देने के साथ ही घर में सुख शांति और समृद्धि देते हैं. 

ऐसे करें गणेश चतुर्थी पर भगवान की पूजा अर्चना

गणेश चतुर्थी पर भगवान की पूजा अर्चना करने के लिए सबसे पहले स्नान करें. इसके बाद घर के मंदिर की अच्छे से साफ सफाई कर एक चौकी पर लाल या पीले रंग के वस्त्र ​बिछा लें. गणेश भगवान मूर्ति लाकर इस चौकी पर स्थापित करें. इस दौरान उनका मुंह पूर्व तरफ रखें. भगवान की मूर्ति रखने के साथ ही दूर्वा, गंगाजल, चंदन, हल्दी, गुलाब, सिंदूर, मौली, जनेऊ और फल फूल अर्पित करें. भगवान को अति प्रिय मोदक का भोग लगाएं. इसके बाद गणेश जी की आरती के साथ मां पार्वती और भगवान शिवजी की आरती करें.

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गणेश चतुर्थी का महत्व

भोलेनाथ और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी की पूजा देवाताओं में सबसे पहले की जाती है. उनकी पूजा के कोई पूजा अधूरी मानी जाती है. भगवान गणेश बुद्धि और विवके देवता माने जाते हैं. गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापना की जाती है. 10 दिनों तक उनका विधि विधान से पूजा पाठ किया जात है. इसे व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी कष्ट, विघ्न और बाधाओं को भगवान दूर कर देते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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