भारत को नदियों का देश कहा जाता है. इसमें गंगा, यमुना से लेकर सरस्वती जैसी कई नदियां हैं. इनमें गंगा से लेकर यमुना समेत सभी नदियों को पवित्र माना जाता है. एकादशी और अमावस्या पर इनमें स्नान भी किया जाता है. वहीं गंगा जी के जल की पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा घर में गंगा जल का छिड़काव करने से लेकर पूजा अर्चना में इस्तेमाल करने से सब कुछ पवित्र हो जाता है. यही वजह है कि घरों में गंगा जल को भरकर रखते हैं, लेकिन इसी तरह से यमुना के जल को घर में क्यों नहीं रखते हैं. हालांकि गंगा जी की तरह ही यमुना के घाट पर पूजा अर्चना की जाती है. इनकी आरती और दान भी किया जाता है, लेकिन इस पर ज्यादातर लोगों का सवाल है कि आखिर यमुना जी के जल को घर में क्यों नहीं रखते हैं. आइए ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि गंगा जी की तरह ही यमुना जी के जल को घर में भरकर क्यों नहीं रखते हैं.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, भारत में कई तरह की पवित्र नदियां हैं. इनमें गंगा के बाद यमुना का नाम आता है. यमुना नदी उत्तर प्रदेश के मथुरा वृंदावन के अलावा दूसरे कई शहरों से गुजरती है. यमुना की पूजा और आरती भी की जाती है. इससे व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं. जीवन में आने वाले कष्ट दूर हो जाते हैं. यमुना नदी को श्रीकृष्ण की प्रिय माना जाता है. वहीं गंगा जी भगवान शिव के जट्टाओं से निकली थी.
शास्त्रों के अनुसार, यमुना नदी को बेहद शुभ माना जाता है. इसमें स्नान करना भी लाभकारी होता है, लेकिन यमुना के जल को घर में लाना अशुभ माना जाता है. इसकी मुख्य वजह यमुना मैय्या को भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी माना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण से यमुना मैय्या को वरदान मिला था कि वह हमेशा भगवान की चरणों में रहेंगी. यही वजह है कि यमुना नदी के जल को घर में रखना वर्जित माना गया है.
यमुना में है यम का वास
यमुना नदी को लेकर एक और पौराणिक कथा भी बताई जाती है. इसके अनुसार, यमुना के भाई यम हैं. यम यानी यमराज, जो यमुना मैय्या के भाई हैं. ऐसा माना जाता है कि यमुना में यम का वास होता है. यमुना जल को घर में रखना यम को घर में स्थान देने जैसा है. हालांकि यमुना में स्नान करने से यमराज व्यक्ति को परेशान नहीं करते. उससे प्रसन्न रहते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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