डीएनए हिंदीः हिंधू धर्म (Hindu Dharma) में मृत्यु के बाद के बारे भी बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा अपने कर्मों के मुताबिक नरक और स्वर्ग लोक में जाती है. व्यक्ति के जन्म के बाद सबसे बड़ा सत्य यहीं है कि उसका एक दिन अंत होगा और उसकी मृत्यु हो जाएगी. गीता में भी इस बात का जिक्र है कि आत्मा का कोई भी विनाश नहीं होता है. मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक चली जाती है. गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में मृत्यु की यमलोक यात्रा के बारे में सबकुछ बताया गया है. तो चलिए मृत्यु के बाद आत्मा की यमलोक यात्रा के बारे में बताते हैं.
पाप-पुण्य के आधार पर तय होती है आत्मा की यमलोक यात्रा
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति की आत्मा को मृत्यु के बाद कई रास्तों से गुजरना पड़ता है. मृत्यु के बाद यमराज के दो यमदूत आत्मा को यमलोक ले जाते हैं. यमलोक के मार्ग में यमदूत आत्मा के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा उसके अपने जीवन में दूसरों के साथ किया होता है. इस प्रकार आत्मा को कर्मों के आधार पर कष्ट झेलने पड़ते हैं.
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मृत्यु के बाद तीन मार्गों से गुजरती है आत्मा
अर्चि मार्ग
देव लोक और ब्रह्मा लोक के मार्ग को अर्चि मार्ग कहते हैं. गरुड़ पुराण में बताया गया यह मार्ग सर्वोच्च मार्ग है. जो व्यक्ति सदैव पुण्य काम करता है उसे इस मार्ग की प्राप्ति होती है.
धूम मार्ग
यह मार्ग पितृ लोक से होता हुआ जाता है. इस मार्ग में पितृ लोक की यात्रा करनी पड़ती है.
उत्पत्ति विनाश मार्ग
यह मार्ग नरक की यात्रा का मार्ग है. सबसे बुरा मार्ग बताया गया है. इस दौरना आत्मा को वैतरनी नदी का सामना करना पड़ता है जिसे पार करने में 47 दिनों का समय लगता है. इन 47 दिनों आत्मा को कई कष्ट झेलने पड़ते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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