डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में सभी सोलह संस्कारों को विशेष महत्व दिया जाता है. इन्हीं सोलह संस्कारों में से एक अंत्येष्टि संस्कार, जिसे अंतिम संस्कार या दाह संस्कार भी कहा जाता है. यह वह प्रक्रिया है जिसमें शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है. इसलिए अंतिम संस्कार करते समय हर व्यक्ति को पुराणों में वर्णित कुछ जरूरी नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है, साथ ही व्यक्ति कई तरह के दोषों व नकारात्मक शक्तियों से बचा रहता है.
ऐसा ही एक नियम है दाह संस्कार के समय सफेद कपड़े पहनने का. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अंतिम संस्कार के समय सफेद कपड़े पहनना कितना जरूरी है..
अंतिम संस्कार में क्यों पहना जाता है सफेद कपड़ा
अंतिम संस्कार के दौरान ज्यादातर लोग सफेद कपड़ों में नजर आते हैं और दाह संस्कार से लौटने के बाद सबसे पहले स्नान करके घर में प्रवेश करते हैं. इसके पीछे एक खास वजह है. दरअसल सफेद रंग सात्विक रंग है और यह शांति का प्रतिनिधित्व करता है. इतना ही नहीं ये रंग नकारात्मक ऊर्जा के संपर्क में आने से रोकता है. इसलिए नकारात्मक ऊर्जा के संपर्क में आने से बचने के लिए लोग श्मशान में जाते समय सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं.
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अंतिम संस्कार के बाद ध्यांन रखें ये बातें
गरुड़ पुराण के अनुसार जब आप किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार करके लौटें तो भूलकर भी पीछे मुड़कर न देखें. क्योंकि अगर आप ऐसा करते हैं तो मृतक व्यक्ति की आत्मा आपके स्नेह में पड़ जाती है, जिसकी वजह से उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है और मोह के कारण मृतक की आत्मा घर आने की इच्छा रखती है.
इसके अलावा दाह संस्कार से लौटने के बाद घर में प्रवेश करने से पहले स्नान जरूर करें. क्योंकि श्मशान में कई तरह की नकारात्मक ऊर्जाओं का वास होता है. इसलिए घर आने के बाद सबसे पहले स्नान करके कपड़े धोने चाहिए और फिर घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए.
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इसके अलावा जिस घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उस व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए लगातार 12 दिनों तक दीपक जलाना चाहिए और पितृ पक्ष में पिंडदान करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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