Gau Pujan: गौ-पूजन से मिलता है 33 कोटि देवी देवताओं का आशीर्वाद, पंचगव्य में छिपा है कैंसर का इलाज

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 01, 2022, 01:49 PM IST

गौ-पूजन से मिलता है 33 कोटि देवी देवताओं की पूजा का फल

सनातन धर्म में गाय का विशेष महत्व है, धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गौ-पूजा से 33 कोटि देवताओं की पूजा का फल प्राप्त होता है, यहां जानें अन्य खास बातें

डीएनए हिंदीः Gopashtami 2022 Know Gau Puja Significance- सनातन धर्म में गाय को संसार का सबसे पवित्र प्राणी माना जाता है, हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों, वेदों, पुराणों में कामधेनु गाय का उल्लेख मिलता है. इसके अलावा गरुड़ पुराण में भी गाय का जिक्र मिलता है. गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के पश्चात आत्मा को वैतरणी नदी पार करनी पड़ती है, मान्यता है की व्यक्ति ने अगर जीवित रहते हुए गौ दान किया है तो वह गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी नदी पार कर जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण गाय की सेवा अपने हाथों से करते थे और गोलोक में निवास करते थे. हिंदू धर्म में गौ-पूजा, गौ-सेवा, गौ-दान के पीछे कई कारण हैं जिनका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है. चलिए जानते हैं आखिर गाय का हिंदू धर्म, संस्कृति में इतना महत्व क्यों है? 

गाय में होता है 33 कोटि देवी-देवताओं का वास

सनातन धर्म में गाय को पूजनीय बताया गया है क्योंकि इसमें 33 कोटि देवताओं का वास होता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इन 33 प्रकार के देवताओं में 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रूद्र और 2 अश्विन कुमार हैं. ऐसे में मान्यता है कि एक गाय की सेवा-पूजा कर लेने से 33 कोटि देवताओं का पूजन संपन्न हो जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. यही कारण है कि संसार का सबसे बड़ा दान गौ-दान माना जाता है. 

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अथर्ववेद में मिलता है गाय के महत्व का उल्लेख

अथर्ववेद में एक श्लोक का वर्णन मिलता है जिसमें कहा गया है 

आ गावो अग्मन्नुत भद्रकम्रन सीदंतु गोष्मेरणयंत्वस्मे।
प्रजावतीः पुरुरूपा इहस्युरिंद्राय पूर्वीरुष्सोदुहानाः।।
यूयं गावो मे दयथा कृशं चिदश्रीरं चित्कृणुथा सुप्रतीकम।
भद्र गृहं कृणुथ भद्रवाचो बृहद्वो वय उच्यते सभाषु।।

जिसका अर्थ है कि हे गौ! तुम्हारे दूध और घी के माध्यम से मनुष्य शारीरिक रूप से पुष्ट और बलवान बनता है, बीमारियां दूर होती हैं और मनुष्य तंदुरुस्त रहते हैं,  जिस घर में आप उपस्थित होती हैं, वहां संकल्प साकार होते हैं और परिवार में रहने वालों की मान सम्मान में वृद्धि होती है. 


गौ-दान का महत्व

गरुड़ पुराण में वैतरणी नदी का उल्लेख मिलता है. इसके अनुसार जब किसी मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा को स्वर्ग तक पहुंचने से पहले अपने कर्मों के अनुसार कई तरह के कष्टों से गुजरना पड़ता है. इन्हीं में से एक नदी वैतरणी को भी पार करना पड़ता है जो कि आत्मा के लिए संभव नहीं होता है. ऐसे में कहा जाता है कि अगर मनुष्य ने जीवित रहते हुए गौ-दान किया है तो नदी पार करवाने के लिए वहां एक गाय मौजूद होती है, आत्मा गाय की पूंछ पकड़कर नदी पार करती है. यही कारण है कि कई लोग अपने परिजनों की मृत्यु के बाद उनके निमित्त गाय का दान करते हैं.

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पंचगव्य से कैंसर जैसे रोग का इलाज

गाय का पंचगव्य यानी दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर को बेहद लाभदायक माना जाता है, आयुर्वेद में इस बात का उल्लेख मिलता है कि गाय के पंचगव्य के इस्तेमाल से कई रोगों से निजात पाया जा सकता है इतना ही नहीं पंचगव्य के उपयोग से कैंसर जैसे जानलेवा रोग तक का इलाज भी किया जा रहा है. 

गाय से जुड़ी अन्य खास बातें

  • गाय के दूध में केरोटीन पाया जाता है जिसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है
  • गाय का दूध से दिल की बीमारियां भी दूर होती हैं
  • गाय के घी से यज्ञ करने से ऑक्सीजन बनता है
  • गाय की पीठ पर प्रतिदिन 10-15 मिनट हाथ फेरने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है. 
  • क्षय रोगियों को गौशाला में रखने से गोबर की गंध से क्षय रोग दूर होता है इसके अलावा क्षय, मलेरिया के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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