Govardhan Puja 2022: क्या आप जानते हैं गोवर्धन और अन्नकूट पूजा में क्या है अंतर? जानें यहां

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 25, 2022, 04:06 PM IST

क्या आप जानते हैं गोवर्धन और अन्नकूट पूजा में क्या है अंतर ? 

Annakut: इस बार गोवर्धन और अन्नकूट पूजा कल यानी 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाया जाता है. जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

डीएनए हिंदी: Difference Between Govardhan And Annakut Puja- हर बार दिवाली के ठीक अगले दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2022) के साथ साथ अन्नकूट पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस बार दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अंतर पड़ रहा है. आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) लगेगा. इसलिए गोवर्धन पूजा कल यानी 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा.

सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का खास महत्व है. इस पर्व को मनाने के पीछे भगवान श्रीकृष्ण के समय की पौराणिक कथा प्रचलित है. इस दिन अन्नकूट भी मनाया जाता है जिसमें भगवान के लिए 56 भोग तैयार किया जाता है. इस दिन अगर आप 56 तरह की चीजें नहीं बना सकते तो कम से कम 5 तरह की चीजें  बनाकर भी श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं. गोवर्धन पूजा और अन्नकूट दोनों ही पर्व एक ही दिन मनाया जाता है. इन दोनों पर्व के बीच बहुत बड़ा तो नहीं लेकिन थोड़ा अंतर जरूर है. चलिए जानते हैं क्या है वो अंतर. 

सूर्य ग्रहण की वजह से तिथियों में हुई हेर-फेर

इस बार सूर्य ग्रहण के कारण तिथियों में हेर-फेर हुआ है (Govardhan Puja 2022 Date). ऐसे में 25 अक्टूबर, 2022 की शाम 4.20 से गोवर्धन पूजा की तिथि की शुरुआत होगी जो की 26 अक्टूबर, 2022 को दोपहर 2.40 बजे तक चलेगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुबह के समय गोवर्धन पूजा करना शुभ माना जाता है. इसलियेत यह पर्व 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. गोवर्धन पूजा के दौरान अन्नकूट भी मनाया जाता है ऐसे में  26 अक्टूबर को ही अन्नकूट भी मनाया जाएगा.

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अन्नकूट और गोवर्धन पूजा में क्या अंतर है? (Difference Between Annakut and Govardhan)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को नष्ट किया था. इस दिन सभी ब्रजवासियों को उन्होंने भयंकर बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत के नीचे इकट्ठा किया और अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठा लिया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रजवासियों नें गोवर्धन पर्वत के नीचे पूरे 7 दिन बिताए. इस दौरान ब्रजवासी अन्न और फल एकत्रित करते थे और एक साथ इसका सेवन करते थे.

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श्रीकृष्‍ण ने लोगों को पर्वत और प्रकृति से मिलने वाली वस्तुओं का अहमियत बताते हुए, उनके प्रति सम्मान जताना सिखाया. तब से इस दिन गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई जिसमें लोग गोबर और साबुत अनाज से भगवान कृष्‍ण और गोवर्धन पर्वत के प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करते हैं और प्रकृति से मिलीं चीजों से ही अन्नकूट बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाते हैं. ऐसे में अन्नकूट को गोवर्धन पूजा के साथ जोड़ दिया गया और लोग इस दिन जितना हो सके पकवान बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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