Govardhan Puja 2024: पूजा के बाद गलती से भी न फेंके गोवर्धन पर्वत का गोबर, ऐसे करें इसका इस्तेमाल

Written By नितिन शर्मा | Updated: Nov 02, 2024, 08:45 AM IST

गोवर्धन पूजा के बाद अक्सर लोग गोबर से बने पर्वत को फेंक देते हैं. अगर आप भी ऐसी गलती कर रहे हैं रूक जाये. ऐसा करने से आपको भगवान श्रीकृष्ण नाराज हो जाते हैं.

Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है. यह भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी एक अद्भूत ​लीला है. इस दिन हिंदू घरों में गोबर का पर्वत बनाकर गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना की जाती है. इसे गोवर्धन पर्वत कहा जाता है. साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करने के साथ ही भगवान का धन्यवाद किया जाता है. इसके अगले दिन घर में गोबर से बने गोवर्धन पर्वत को समेटकर कुछ लोग फेंक देते हैं. अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं तो यह गलती न करें. इससे भगवान श्रीकृष्ण नाराज हो जाते हैं. इसके लिए गोवर्धन पर्वत के गोबर को किसी ऐसे इस्तेमाल में लेना चाहिए, जिससे भगवान का अपमान न हो. साथ ही पुण्य फलों की प्राप्ति हो. आइए जानते हैं किन चीजों में कर सकते हैं. गोवर्धन पर्वत के गोबर का इस्तेमाल...

हिंदू धर्म में गाय के गोबर को बेहद पवित्र माना जाता है. इससे गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा अर्चना करने पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. ऐसे में इसे फेंकने की जगह खेतों में डाल दें. इससे यह खाद्य का काम करेगा. इसके अलावा गोबर की बायोगैस भी बनाई जा सकती है. इसे घर में उपले बनाकर पूजा अर्चना के लिए अग्नि में इस्तेमाल कर सकते हैं. यह बेहद शुभ होता है और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.  

ऐसे होती है गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा के लिए घर में गाय के गोबर का एक छोटा सा पर्वत बनाया जाता है. इस पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण के रूप में पूजा जाता है. साथ ही धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें. भगवान के लिए 56 प्रकार के भोग बनाकर उन्हें प्रसाद स्वरूप वितरण किया जाता है. गोवर्धन पर्वत की पूजा और भोग के बाद आरती करें. साथ ही गोवर्धन महाराज की कथा जरूर पढ़ें. इसके बाद गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें. इससे मनोकामना की पूर्ति होती है. 

किसी भी अपवित्र स्थान पर न फेंके गोबर 

गोवर्धन पर्वत में इस्तेमाल हुए गोबर का इस्तेमाल पूजा अर्चना में करना शुभ है, लेकिन इसे गलती से भी अपवित्र स्थान जैसे कूड़ेदान में न फेंके, जब आपकी पूजा पूर्ण हो जाए तब पूरे दिन आप गोवर्धन पर्वत को उसी स्थान पर बना रहने दें. शाम के समय यहां पर पूजा कर दीपक जलाएं. अगले दिन सुबह उठकर इस पर्वत के उपले बनाकर छत या घर के आंगन में रख दें. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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