डीएनए हिंदी: यह जरूर है कि आमतौर पर लोग साल में दो नवरात्र के बारे में ही जानते हैं एक चैत्र और अश्विन माह. ये दोनों ही नवरात्र ज्यादातर घरों में व्रत और पूजा के साथ मनाए जाते हैं. जबकि इसके अतिरिक्त आषाढ़ औऱ माघ में आने वाले नवरात्र कम ही लोग मनाते हैं. इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है.
क्यों कहा जाता है इन्हें गुप्त नवरात्र
गुप्त का मतलब होता है छिपाना. ये नवरात्र भी कुछ ऐसे ही होते हैं. इनकी पूजा अर्चना विशेष सिद्धि के लिए की जाती है. गहरी साधना करने वाले साधक ही इन नवरात्रों के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं और विधि विधान के अनुसार गुप्त तरीके से पूजा पाठ करते हैं. यही वजह है कि इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है.
किन देवियों की होती है पूजा
बताया जाता है कि गुप्त नवरात्र में काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला नाम की दस देवियों की पूजा होती है.
कैसे होती है पूजा
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा करना काफी मुश्किल होता है. यह पूजा गुप्त रूप से की जाती है, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है. पूजा की जगह पर अखंड ज्योत जलाई जाती है. सुबह और शाम मां दुर्गा की पूजा होती है और नौ दिन लगातार दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. अष्टमी या नवमी के दिन व्रत समाप्त होते हैं और कन्यापूजन होता है.
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10 महाविद्याओं का है महत्व
भागवत में 10 तरह की महाविद्याओं का जिक्र किया गया है. कहा गया है कि ये 10 महाविद्याएं मां दुर्गा के 10 रूपों से मिलती हैं. यही वजह है कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के इन 10 रूपों की पूजा होती है. माना जाता है कि हर एक महाविद्या मां दुर्गा की पूजा करने वाले साधक की सभी समस्याओं का अंत करने में मददगार होती हैं. तंत्र साधना में भी इन महाविद्याओं को काफी अहम बताया गया है.
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