Guru Pradosh Vrat 2022: आज इस कथा के बिना अधूरा है गुरु प्रदोष व्रत, शत्रु होंगे पराजित

ऋतु सिंह | Updated:Sep 08, 2022, 08:28 AM IST


आज इस कथा के बिना अधूरा है गुरु प्रदोष व्रत, इसे सुनने से मिलते हैं शुभ फल

Pradosh Vrat Fast Story: आज यानी 8 सितंबर को गुरु प्रदोष व्रत है. भोलेनाथ की पूजा करने और कथा श्रवण से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है.

डीएनए हिंदीः गुरु प्रदोष व्रत करके देवराज इंद्र ने वृत्तासुर को परास्त किया किया था. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से ही इंद्र को विजय मिली थी. यही वजह है कि इसे शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला भी व्रत माना गया है.  इस दिन भोलेनाथ की पूजा करजरूर सुनना चाहिए क्योंकि इस कथा को सुनने के बाद ही व्रत का पुण्यफल मिलता है.

गुरु प्रदोष व्रत को करके देवराज इंद्र ने वृत्तासुर को परास्त किया किया था. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से ही इंद्र को विजय मिली थी. शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए गुरु प्रदोष व्रत एक श्रेष्ठ व्रत है. आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत की कथा के बारे में.

गुरु प्रदोष व्रत कथा (Guru Pradosh Vrat Katha)
एक बार असुरों का राजा वृत्तासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया. तब देवराज इंद्र ने बहादुरी से उसका मुकाबला किया. देवताओं की सेना ने वृत्तासुर के सैनिकों को परास्त कर दिया. वे मैदान छोड़कर भाग गए. अपने सैनिकों का यह हाल देखकर वृत्तासुर अत्यंत ही क्रोधित हो गया. उसे फिर अपनी माया का प्रभाव दिखाना शुरु किया.
उसने अपने माया के प्रभाव से बहुत ही विकराल और भयानक रूप धारण कर लिया.

इससे देवताओं के सैनिक डर गए और भागकर देव गुरु बृहस्पति के शरण में पहुंचे. देवराज इंद्र ने वृत्तासुर पर विजय प्राप्ति का उपाय पूछा. गुरु बृहस्पति ने बताया कि वृत्तासुर बहुत ही पराक्रमी है. वह शिव भक्त है. उसने गंधमादन पर्वत पर कठोर तप किया और भगवान शिव को प्रसन्न किया. पूर्वजन्म में वह राजा चित्ररथ था.

एक बार वह कैलाश पर जाकर माता पार्वती और भगवान शिव का उपहास कर दिया. तब माता पार्वती ने उसे राक्षस योनि में जाने का श्राप दे दिया. उस श्राप के कारण वही चित्ररथ आज का वत्तासुर है. वह अपने बाल्यकाल से ही शिव भक्ति करता आ रहा है. उसे परास्त करने का एक ही उपाय है कि हे इंद्र! तुम गुरु प्रदोष व्रत को नियम पूर्वक करो और भगवान शिव को प्रसन्न करो.

देव गुरु की सलाह पर देवराज इंद्र ने विधि विधान से गुरु प्रदोष व्रत रखा और भगवान शिव की आराधना की. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से देवराज इंद्र ने वृत्तासुर को युदृध में हरा दिया. उसके बाद से स्वर्ग लोक में शांति की स्थापना हुई. इस वजह से इस व्रत को शत्रुओं पर विजय के लिए उपयोगी माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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