Guru Pradosh Vrat 2022: गुरु प्रदोष व्रत आज, जानें क्या है शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व 

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 08, 2022, 10:34 AM IST

आज है गुरु प्रदोष का व्रत, जाने क्या है शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व

भगवान शिव के लिए कई व्रत रखें जाते है उनमें से एक है गुरु प्रदोष, जानें क्या है इसका महत्व और पूजा विधि.

डीएनए हिंदी : Guru Pradosh Vrat date- धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई व्रत रखें जाते हैं. इन सभी व्रतों में से एक है प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और व्रत रखने वाले भक्तों का दुःख दूर कर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है साथ ही इस व्रत में भगवान भोले नाथ की पूजा का विधान बताया जाता है. भगवान भोलेनाथ आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए आज यह व्रत रखा जाएगा.

यह है शुभ मुहूर्त (Date and Timing)

भगवान भोलेनाथ के प्रमुख व्रत में से एक यह व्रत प्रदोष (Guru Pradosh Vrat 2022) काल मे किया जाता है. सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के समय को प्रदोष काल माना जाता है. इस बार व्रत गुरुवार के दिन यानी आज मनाया जा रहा है. इसलिए इस व्रत को गुरु प्रदोष व्रत भी कह सकते है.

यह है गुरु प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री

इस व्रत में भी अन्य व्रत की तरह सामान्य पूजा सामग्री की आवश्यकता पड़ती है. व्रत में पूजा सामग्री के तौर पर सफेद वस्त्र, एक जल से भरा हुआ कलश, सफेद और पीले वस्त्र के फूल की माला, सफेद और पीले रंग की मिठाई, सफेद चंदन, धूप, घी, दिया, कपूर और भगवान भोलेनाथ का अति प्रिय बेल-पत्र, भांग और धतूरा आदि को शामिल किया जाता है. साथ ही हवन के लिए आम की लकड़ी, हवन सामग्री और आरती की थाली की आवश्यकता पड़ती है.

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ऐसे करें पूजा

यदि आप प्रदोष व्रत रखना चाहते हैं तो सबसे पहले उठ कर स्नान करें, स्नान के बाद सफेद या पीले रंग का वस्त्र धारण करें. इस दिन भूल कर भी काला वस्त्र नहीं पहनना चाहिए. भगवान भोलेनाथ को दूध, दही और पंचामृत चढ़ाएं और फिर उन्हें पीले या सफेद रंग का टीका लगा कर भगवान शिव का ध्यान करते हुए भांग, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं. पूजा के दौरान ॐ नमः शिवाय का जाप जरूर करें. कहा जाता है कि इस व्रत में गुरु प्रदोष व्रत की कथा जरूर पढ़नी चाहिए. चन्द्रमा को अर्ध्य देखर ही व्रत का पारण करें. 

यह है महत्व (Significance) 

मान्यता है कि इस व्रत को करने से 100 गायों को दान करने जितना फल मिलता है. इस व्रत को रखने से दाम्पत्य जीवन के कष्ट, परेशानी और पति पत्नी के बीच के वाद विवाद खत्म हो जाते हैं साथ ही इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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