Guru Pradosh Vrat: अक्टूबर महीने का अंतिम प्रदोष व्रत आज, इस शुभ मुहूर्त में करें शिव जी की पूजा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 26, 2023, 07:43 AM IST

अक्टूबर महीने का अंतिम प्रदोष व्रत कल, इस शुभ मुहूर्त में करें शिव जी की पूजा 

Guru Pradosh Vrat: अक्टूबर महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यहां जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डीएनए हिंदी: हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह 2 प्रदोष  व्रत रखा जाता है और इसमें एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में रखा जाता है. ऐसे में अक्टूबर महीने के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत कल यानि 26 अक्टूबर, दिन गुरुवार रखा जाएगा. सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है और इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की विधिवत पूजा करने पर भक्तों (Pradosh Vrat) के जीवन के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने पर दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है और भोलेनाथ (Shiv Pujan) अपने भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं. इसके अलावा यह व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए करती हैं. आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में. 

गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त (Guru Pradosh Vrat Shubh Muhurat) 

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 अक्टूबर दिन गुरुवार की सुबह 9 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 27 अक्टूबर दिन शुक्रवार सुबह 6 बजकर 56 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के शुभ मुहूर्त के अनुसार, प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर को गुरुवार के दिन रखा जाएगा. 

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प्रदोष व्रत का पूजा समय (Guru Pradosh Vrat Puja Time) 

बता दें कि 26 अक्टूबर को गुरु प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 41 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 15 मिनट तक है और इसी शुभ मुहूर्त में आपको भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए. धार्मिक  मान्यता है कि प्रदोष व्रत पर शिव पूजा शाम के समय में ही होती है.

पूजन विधि (Guru Pradosh Vrat Puja Vidhi) 

इस दिन सुबह स्नानादि के बाद हल्के रंग के वस्त्र धारण करें और भगवान गणेश जी के सामने घी का दीया जलाकर गं मंत्र का 108 बार जाप करें. इसके बाद भगवान शिव के मंत्र नमः शिवाय का जाप करें. इस दिन शाम के समय प्रदोष काल मे भगवान शिव को पंचामृत यानि दूध दही घी शहद और शक्कर से स्न्नान कराएं और फिर शुद्ध जल से स्न्नान कराकर रोली मौली चावल धूप दीप से पूजन करें. साथ ही भगवान शिव को सफेद चावल की खीर का भोग लगाएं. इसके बाद आसन पर बैठकर शिवाष्टक का पाठ करें और भगवान शिव से सारे विघ्न और दोषों को खत्म करने की प्रार्थना करें.

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इन बातों का रखें ध्यान

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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