डीएनए हिंदी : गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्य के अन्तर्सम्बन्धों की ज़मीन है. गुरु केवल वे नहीं होते जिन्होंने विषयों का ज्ञान दिया हो. जीवन के हर क्षेत्र में गुरुओं की महत्ता से इंकार नहीं किया जा सकता है. 13 जुलाई को मनाई जा रही आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है. भारतीय संस्कृति में अक्षर ज्ञान देने वाले से लेकर जीवन का सारतत्व समझाने वाले को गुरु का दर्जा दिया जाता है. हमारी संस्कृति के अनुसार गुरु आध्यात्मिक से दैनिक जीवन में ज़िन्दगी की अहमियत समझाने वाले को कहा जाता है.
बौद्ध और शैव मत - दोनों जुड़ती है इसकी नींव
भारत, नेपाल और भूटान में मनाए जाने इस त्योहार की कहानी बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध से जुड़ती है. माना जाता है कि ज्ञान-प्राप्ति के बाद इस दिन उन्होंने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था.
वहीं यौगिक परम्परा और हिंदू दर्शन के मुताबिक इस दिन की शुरुआत तब हुई थी जब भगवान शिव दुनिया के पहले गुरु बने थे. बतौर गुरु शिव ने पहली दीक्षा सप्तऋषियों को दी थी. उन्होंने उन ऋषियों को योग सिखलाया था.
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व्यास ऋषि वाली कहानी
हिंदू धर्म के एक मत के अनुसार गुरु पूर्णिमा प्रसिद्ध ऋषि वेद व्यास का जन्मदिन भी होता है. व्यास ऋषि न केवल महाभारत बल्कि सनातन धर्म के सबसे प्रमुख ग्रंथ वेदों के रचयिता भी हैं. उन्हें महागुरु का दर्जा भी दिया जाता है. यह दिन उनकी याद का विशेष दिन भी है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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