Hanuman Jayanti 2024: राम नवमी के 6 दिन बाद ही क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती, जानें इसके पीछे का रहस्य

नितिन शर्मा | Updated:Apr 21, 2024, 07:06 AM IST

रामनवमी (Ramnavami) के बाद श्रीराम के परम भक्त और शिव के 11वें रुद्रावतार हनुमान जी की जयंती (Hanuman Jayanti 2024) मनाने की तैयारी शुरू हो गई है. भगवान राम और हनुमान जी का खास जुड़ाव भी है, लेकिन दोनों की जयंती छह दिन का अंतर संयोग है या इसके पीछे कोई बड़ी वजह है. आइए जानते हैं...

Hanuman Jayanti 2024: हर साल रामनवमी के 6 दिन बाद ही हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाता है. यह तिथियों का संयोग नहीं है, बल्कि श्रीराम लाल के जन्म के छह दिन बाद ही अंजनी पुत्र हनुमान जी का भी धरती पर जन्म लेना है. इस बार भी 17 अप्रैल 2024 को राम जन्मोत्सव मनाया गया. वहीं 23 अप्रैल को हनुमान जयंती (Hanuman Janmaotsav 2024) मनाई जाएगी. चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि पर ही हनुमान जी का जन्म हुआ था, लेकिन राम और हनुमान जी के जन्मदिन में छह दिन अंतर कोई संयोग नहीं हैं, शास्त्रों की मानें तो इसके पीछे एक बड़ी वजह है. जिस भगवान के प्रेम और लीलाओं से जोड़कर भी देखा जाता है. 

इस बार रामनवमी पर श्रीरामलला का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. अब हनुमान जी ने भक्तों ने हनुमान जयंती पर उत्सव की तैयारी शुरू कर दी है. रामभक्तों के लिए भी हनुमान जी जन्मदिन विशेष होता है. इसकी वजह भगवान श्रीराम जी द्वारा हनुमान जी को अपना परमभक्त माना जाना था. हनुमान जी भी प्रभु श्रीराम की भक्ति में लगे रहते थे. उनके सभी कामों को आगे बढ़कर खुद करते थे. यही वजह है कि उनका जन्म रामनवमी से छह दिन पूर्व हुआ था. 

रामनवमी के 6 दिन बाद इसलिए मनाई जाती है हनुमान जयंती

हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी और पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है. इस बाद रामनवमी 17 अप्रैल तो हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी, लेकिन हर साल रामनवमी के छह दिन बाद हनुमान जयंती एक संयोग है या फिर इसके पीछे कुछ और रहस्य है. इस पर तुलसीदार ने हनुमान चालीस (Hanuman Chalisa) में लिखा है कि भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र जी के काज संवारे, यानी श्रीराम सभी बिगड़े काम बनाते हैं, लेकिन हनुमान जी उनके सभी काम बनाते हैं. 

विष्णु के अवतार राम और शिव के 11वें अवतार हैं हनुमान

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम विष्णु के 7वें अवतार हैं. भगवान ने त्रेतायुग में धरती पर जन्म लिया. बताया जाता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म धरतीलोक पर असुरों के संहार के लिए हुआ था, लेकिन शिवजी उनके धरती लोक में आने पर थोड़ा चिंतित हो गये. इसी के बाद रामजी की सहायता के लिए उन्होंने खुद 11वें रुद्रावतार में श्रीराम चंद्र के छह दिन बाद हनुमान जी के रूप में धरती पर जन्म लिया. जब भगवान श्रीराम सभी को राक्षसों से मुक्ति दिला रहे थे. तब हनुमान जी पीछे खड़े होकर उनके सभी काम बना रहे थे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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