डीएनए हिंदीः दुनियाभर में बजरंग बली (Bajarang Bali) की पूजा करने वाले करोड़ों भक्तों को मालूम है कि भगवान हनुमान (Lord Hanuman) को प्रसन्न करने के लिए मंगलवार का दिन कितना ज़रूरी है. आज ही के दिन पवनपुत्र हनुमान का जन्म (Hanuman Birth) माता अंजनि और वानरराज केसरी के घर में हुआ था. मंगलवार को जन्मे हनुमान की पूजा उनके कई रुपों में की जाती है.
बाल हनुमान (Baal Hanuman), पवनपुत्र हनुमान (pawanputra), बजरंग बली (Bajrang Bali), भक्त हनुमान (Bhakt Hanuman) और सकंटमोचन हनुमान (Sankatmochan) स्वरुप में उनकी पूजा संपूर्ण विश्व में की जाती है. अपने भक्तों का हमेशा मंगल करने वाले, मंगलमय भगवान को लोग अपने सुख और दुख में याद करते हैं.
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भगवान हनुमान का एक रूप मेंहदीपुर बालाजी (Mehndipur Balaji) तो प्रेत बाधा में भी भक्तों की रक्षा करता है. लेकिन भगवान का एक और रूप "पंचमुखी" भी है जिसके बारे में कम ही लोगों को जानकारी होती है. भगवान के इस रूप की चर्चा भी कम होती है और इसके मंदिर भी कम नज़र आते हैं. आज इस स्वरूप के बारे में हम आपको बताएंगे.
क्या है पंचमुखी अवतार (About Panchmukhi Hanuman)
भगवान हनुमान के पंचमुखी अवतार को कम जानने का कारण है, इस रूप के अधिक मंदिर नहीं होना. लेकिन ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में भगवान के इस रूप की अत्यंत मह्त्ता है. आमतौर पर इस रूप की पूजा घर के अंदर की जाती है और इस रूप को वास्तु दोष हरने वाला माना जाता है. घर के वास्तु निवारण में पंचमुखी हनुमान की भूमिका बड़ी मानी जाती है.
भगवान के इस रूप में उनके पाँच मुँह है जो सभी दिशाओं की ओर देखते हैं और इन दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन पांच मुँह को क्रमश: - वानर (पूर्व), गरुड़ (पश्चिम), शूकर (उत्तर), नरसिंह (दक्षिण) और अश्व (उर्ध्वामुखी) की तरह देखा जाता है.
रामायण के एक प्रसंग के अनुसार रावण के मायावी राक्षस अहिरावण ने अपनी माया के बल से संपूर्ण वानर सेना को सुला दिया था और राम-लक्ष्मण को बंदी बना कर पाताल लोक की ओर प्रस्थान किया था. अहिरावण की इच्छा राम और लक्ष्मण की बलि देने की थी. इस संकट से उन्हें उबारने के लिए पाताल लोक में पहुंचे हनुमान ने मायावी अहिरावण की माया को काटने के लिए यह महा-रूप अपनाया था.
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अहिरावण की माया को तोड़ने के लिए उसके द्वारा जलाए गए पाँच दीपकों को एक साथ बुझाया जाना था. यह दीपक पाँच अलग अलग दिशा में जल रहे थे. ऐसे में भगवान हनुमान ने पँचमुखी अवतार लिया और अपनी सम्मिलित शक्ति से इन दियों को एकसाथ बुझा दिया.
वास्तु दोष हरेंगे हनुमान
भगवान हनुमान की इसी खूबी के कारण वास्तु शास्त्र में उनके इस रूप का बड़ा महत्व है. दरअसल वास्तु के अनुसार दक्षिण और पश्चिम दिशा में नकारात्मक उर्जा का अधिक वास होता है. ऐसे में भगवान हनुमान का पंचमुखी स्वरूप ही वह रूप है जो पूर्व दिशा से ही, हर कोने और हर दिशा पर सीधी नज़र रख सकता है.
उनके पांच मुख, पाँच अलग अलग कारणों के लिए पूजे जाते हैं.
- पूर्व दिशा में स्थित वानर मुख (Vanar)दुश्मनों पर विजय प्राप्त करता है.
- पश्चिम दिशा में स्थित गरुड़ मुख (Garud)रुके हुए काम को पूर्ण करता है.
- उत्तर दिशा में स्थित वराह मुख (Varah)लंबी आयु और निरोगी काया देता है.
- दक्षिण दिशा का प्रधान नरसिंह मुख (Narsingh)भय से छुटकारा दिलाता है.
- आकाश दिशा की ओर देखता अश्नव मुख (Ashwa) मनोकामनाएं पूरी करता है.
इस स्वरूप में भगवान को घर के अंदर दक्षिण दिशा में लगाने की सलाह दी जाती है. मंगलवार को इस रूप पर धूप-दीप करने के साथ लाल फूल या सिंदूर चढ़ाने से विशेष फल भी मिलता है. भगवान के इस स्वरूप को हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) और हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak)के पाठ से स्मरण किया जाता है.
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पंचमुखी हनुमान की तस्वीर को बच्चों की पहुंच से दूर रखें और इसे अक्सर छूने से बचें. इस स्वरुप की मूर्ति को कार्यस्थल या अपनी डेस्क पर लगाने से भी विशेष लाभ होता है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस मूर्ति की स्थापना के बाद बांधा गया कोई भी नियम पूरा किया जाना चाहिए. भगवान का यह स्वरुप रुष्ट भी होता है. पंचमुखी हनुमान के घर में आने के बाद दान की मह्त्ता और बढ़ जाती है. ज्योतिष और वास्तु शास्त्री इस रूप की मूर्ति स्थापना के बाद पाक्षिक या मासिक दान को विशेष लाभकारी बताते हैं.
दान में दूध, दही, मिठाई, किताबें या किसी रोगी की दवा-सेवा से मदद का अधिक महत्व माना जाता है.
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