डीएनए हिंदी: अब तक आपने अमरनाथ (Amarnath) में ही बर्फ के शिवलिंग के दर्शन किए होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं हिमाचल के मनाली में भी बर्फ का शिवलिंग हैं. ये मनाली के पहाड़ों के बीचो बीच है. यहां एक नहीं बल्कि कई बर्फीले पहाड़ों ने शिवलिंग का आकार लिया है लेकिन जिस शिवलिंग की बात हम कर रहे हैं वह अमरनाथ के आकार से भी बड़ा है. इसलिए इसे मिनी अमरनाथ भी कहा जाता है.यह समुद्र तल से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर धरती के इस सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग की ऊंचाई 30-40 फीट तक की होती है.
बर्फ का बना शिवलिंग (Iceberg turns into Shivling in Manali in Hindi)
इस शिवलिंग को अंजनी महादेव का नाम दिया गया है. मान्यता है कि देवभूमी हिमाचल में साक्षात देवी-देवताओं का राज है और इस शिवलिंग के साथ माता अंजनी और हनुमान का रिश्ता जुड़ा है.
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अंजनी महादेव का इतिहास
कहा जाता है कि इस स्थान पर हनुमान की माता अंजनी ने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की आराधना की थी. जिसके बाद हनुमानजी का जन्म हुआ. मान्यता है कि तभी से लेकर यहां पर यह बर्फ का शिवलिंग बनता है. माता अंजनी इस स्थान पर बनते शिवलिंग की पूजा व तपस्या करती थी.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस जगह यह शिवलिंग बनता है वह भूमि भगवान हनुमान की माता अंजनी की तपोस्थली मानी जाती है और इसलिए इस विशालकाय शिवलिंग को अंजनी महादेव कहा जाता है.
हर तरफ बर्फ की सफेद चादर और उसके बीच में बर्फ का बना ये शिवलिंग अमरनाथ के बाबा बर्फानी की याद दिलाता है. इस शिवलिंग के दर्शन के लिए भक्तों की भारी मात्रा में भीड़ लगती है. जितने लोग मनाली घूमने आते हैं वे यहां जरूर दर्शन करते हैं. इसके नीचे बाबा की एक कुटिया भी है.
बता दें कि यहां हर साल सर्दियों में प्राकृतिक शिवलिंग बनता है. श्रद्धालुओं की माने तो यह शिवलिंग साक्षात भगवान शिव हैं, जो कुदरत से बने बर्फ के शिवलिंग से अपने भक्तों को दर्शन दे रहें हैं. इस शिवलिंग की ऊंचाई हर साल बढ़ती और घटती रहती है.
बाबा ने खोजा शिवलिंग
इस स्थान के बारे में किसी को भी पता नहीं था लेकिन बाबा प्रकाश पूरी जी महराज ने इसकी खोज की और इसे अभिनव अमरनाथ की संज्ञा दी है. बाबा प्रकाश पूरी जी महराज ने जब लोगों को इसका महत्व और इतिहास बताया तो दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस विशाल बर्फानी शिवलिंग को देखने आने लगे.
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