नवरात्रि के दौरान भक्त बड़ी संख्या में देवी दुर्गा के दर्शन और पूजा के लिए मंदिरों में पहुंचते हैं. अगर आप भी इस बार शारदीय नवरात्रि के दौरान किसी मंदिर में जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बिजासन माता मंदिर जरूर जाना चाहिए. इस मंदिर में माता बिजासन विराजमान हैं.
हर साल शारदीय नवरात्रि पूरे देश में अधिक उत्साह के साथ मनाई जाती है. इस त्योहार के लिए मां दुर्गा के मंदिरों को खूबसूरती से सजाया गया है. नवरात्रि के दौरान भक्त बड़ी संख्या में मां दुर्गा के दर्शन और पूजा के लिए मंदिरों में पहुंचते हैं. अगर आप भी इस बार शारदीय नवरात्रि के दौरान किसी मंदिर में जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बिजासन माता मंदिर जरूर जाना चाहिए.
इस मंदिर में माता बिजासन विराजमान हैं. धार्मिक मान्यता है कि मां बिजासना की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. मां के जलाभिषेक से आंखों की बीमारियां दूर हो जाती हैं, जिसके बाद भक्त मां बिजासन को सोने और चांदी की आंखें चढ़ाते हैं. बहुत से लोगों ने ऐसा किया है. ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी अहम बातें
दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं
हर दिन मां बिजासन की विशेष पूजा की जाती है. सुबह 4 बजे मां बिजासना का जलाभिषेक और रात 8 बजे आरती की जाती है. इस मंदिर में देश के कई हिस्सों से भक्त मां बिजासना के दर्शन के लिए आते हैं.
मां बिजासना मंदिर का स्वरूप कैसा है?
माता बीजानक के दोनों हाथों में नरमुंड हैं. मूर्ति के एक तरफ गणपति बप्पा की मूर्ति और दूसरी तरफ अष्टभुजी मां दुर्गा की मूर्ति विराजमान है. मंदिर के बारे में मान्यता है कि अगर किसी भक्त को आंखों की कोई समस्या है तो दिन में 3 बार मां बिजासन का जलाभिषेक करने से आंखों की समस्या दूर हो जाती है. नेत्र रोग से मुक्ति पाने के बाद भक्त मंदिर में सोने और चांदी की आंखें चढ़ाते हैं.
मंदिर कई साल पुराना है
यह मंदिर कई साल पुराना बताया जाता है. हर महीने की चतुर्दशी को मंदिर में बहुत भीड़ होती है. इस मंदिर का निर्माण महाराज शिवाजीराव होलकर ने करवाया था.
दिन में 3 बार रूप बदलती हैं माता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में स्थित मां बिजासन की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. सुबह बचपन दिखता है, दोपहर को जवानी दिखती है और शाम को बिजासन में बुढ़ापे में मां नजर आती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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