डीएनए हिंदीः सनातन धर्म में 16 संस्कार के अंतर्गत मनुष्य के जीवन को गर्भ में आने से लेकर मृत्यु के उपरांत तक 16 (16 sanskar) कर्तव्यों में विभाजित किया जाता है. ये 16 संस्कार मनुष्य के स्वास्थ्य और व्यक्तित्व विकास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इन्हीं 16 संस्कारों में से एक है चूड़ाकर्म संस्कार, जिसे लोग मुंडन (Mundan Sanskar) संस्कार भी कहते हैं. इस संस्कार के अंतर्गत बच्चों का मुंडन किया जाता है (Hindu Tradition). जिसमें बच्चे के जन्म के बाद पहली बार बाल काटे जाते हैं (Mundan Sanskar Rule). इसके बाद बच्चे के सिर पर दही-मक्खन लगाकर स्नान करवाया जाता है व अन्य मांगलिक कार्य किए जाते हैं.
यह संस्कार बच्चे के जन्म के बाद उसे हानिकारक कीटाणुओं से बचाने, उसके बौद्धिक विकास और स्वच्छता के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं क्यों जरूरी है मुंडन संस्कार व इससे जुड़ी अन्य खास बातें.
क्यों जरूरी है बच्चे का मुंडन संस्कार? ( Mundan Sanskar Importance)
सनातन धर्म में हर एक संस्कार के पीछे कोई न कोई तथ्यपरक कारण जरूर होते हैं. वैसे ही मुंडन संस्कार के पीछे भी कई कारण छिपे हैं. वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि जन्म के बाद बच्चों के बालों में कई तरह की अशुद्धियां होती हैं, जिसका प्रभाव बच्चे के मनो-मस्तिष्क और सेहत पर पड़ता है.
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इसलिए इस दोष को दूर करने के लिए बच्चों का मुंडन करवाया जाता है. इसके अलावा धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मुंडन संस्कार के बाद ही बच्चे का बौद्धिक विकास ठीक ढंग से हो पाता है.
सिर पर क्यों लगाई जाती है हल्दी?
हल्दी को सनातन धर्म में बहुत ही पवित्र माना गया है, इसलिए मुंडन के बाद बच्चे के सिर पर हल्दी लगाई जाती है. साथ ही इसे गुरु ग्रह से जोड़कर देखा जाता है जो कि शुभ कार्यों के कारक है. इसके अलावा बच्चे के सिर पर हल्दी लगाकर उसके उज्जवल भविष्य की कामना की जाती है. वहीं, अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो हल्दी एक एंटीबायोटिक की तरह काम करती है. ऐसे में मुंडन संस्कार के बाद सिर पर हल्दी लगाकर बच्चे को कई बीमारियों से बचाया जाता है.
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माथे पर क्यों बनाया जाता है स्वास्तिक का निशान?
मुंडन संस्कार के बाद बच्चे के सिर पर हल्दी का लेप लगाया जाता है, जिसके बाद कुंकुम से स्वास्तिक बनाया जाता है. स्वास्तिक एक पवित्र निशान है जिसे भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मस्तक में सहस्रार चक्र होता है, उसी स्थान पर स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है. क्योंकि यही हमारे शरीर का सबसे मुख्य चक्र होता है जो शरीर को नियंत्रित करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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