Mantra Jaap Niyam: मंत्र जाप करते समय शास्त्रों में वर्णित इन खास बातों का जरूर रखें ध्यान, तभी मिलेगी सिद्धि, जानिए इससे जुड़े नियम 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 17, 2023, 01:05 PM IST

मंत्र जाप करते समय शास्त्रों में वर्णित इन खास बातों का जरूर रखें ध्यान

Mantra Chanting Rules: जाप और माला से जुड़े इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है. क्योंकि ऐसा नहीं करने पर जप का पूरा फल नष्ट हो जाता है. 

डीएनए हिंदी: वर्ष 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल दिन गुरुवार को लगेगा. इस दिन वैशाख माह (Vaishakh Month 2023) की अमावस्या भी पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यग्रहण (Solar Eclipse Of April 20, 2023) के समय अगर किसी मंत्र का जप किया जाए तो वह बहुत शीघ्र सिद्ध (Mantra Chanting Rules) हो जाता है. इसलिए तांत्रिक (Tantra- Mantra Siddhi) इस दिन श्मशान में जाकर अलग-अलग मंत्रों को सिद्ध करने का प्रयास करते हैं. लेकिन, मंत्र अनुष्ठान करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. 

ऐसे में आज हम आपको मंत्र अनुष्ठान के कुछ ऐसे नियमों (Mantra Jaap Niyam) के बारे में बताने वाले हैं, जिसका पालन करना बेहद जरूरी है, तो आइए जानते हैं इन खास नियमों के बारे में. 

मंत्र संबंधी नियम (Mantra Chanting Rules And Dharma Karma)

-सभी सात्विक साधनाओं के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है. लेकिन कभी भी देवी मंत्रों का जप रात में रुद्राक्ष की माला पर नहीं किया जाना चाहिए. 

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-अगर आप तंत्र सिद्धि प्राप्ति के लिए अनुष्ठान करना हो तो उसके लिए मंत्रों की प्रकृति के अनुसार धतूरे तथा हड्डियों की माला प्रयोग की जाती है. 

-इसके अलावा भगवान विष्णु तथा उनके अवतारों की भक्ति तथा मोक्ष पाने के तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए. 

-विशेष लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अलग-अलग मालाओं से मंत्र जप किया जाता है. जैसे विद्या प्राप्ति के लिए स्फटिक की माला, वशीकरण के लिए मूंगे की माला और पाप नाश के लिए कुशमूल की माला का प्रयोग करना चाहिए. 

-मंत्र जपने की माला में कुल 108 मनके होने चाहिए, इसके अलावा सुमेरू के रूप में एक अतिरिक्त दाना होना चाहिए. कुल मिलाकर माला में 109 मनके होने चाहिए.

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-माला के सभी मनके या दाने एक ही आकार, प्रकार और  रंग-रूप वाले होने चाहिए. क्योंकि अलग-अलग आकार वाले मनकों की माला फलप्रद नहीं होती है. 

-इसके अलावा जप करते समय कभी भी सुमेरु का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे जप का फल नष्ट हो जाता  है. 

-माला को बनाते समय मुख से मुख तथा पृच्छ से पृच्छ को मिलना चाहिए. 

-सबसे जरूरी बात जप करते समय माला को छिपा कर रखना चाहिए और जप के बाद माला को पवित्र स्थान पर रखना चाहिए और इसे गंदे हाथों से स्पर्श भी ना करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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